सरकार ने शेल कंपनियों की पहचान करने और इन्हें बंद करने और कंपनी रजिस्टर से नाम हटाने के लिए एक विशेष अभियान शुरू किया है।
इसके तहत लगातार दो साल या इससे अधिक समय से वित्तीय विवरणों के दाखिल नहीं करने के आधार पर कंपनियों की पहचान की गई और कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 248 तथा कंपनी नियम, 2016 के तहत कानून की उचित प्रक्रिया के पालन के बाद, पिछले तीन वर्षों के दौरान 3,82,581 कंपनियों को बंद कर दिया गया है।
यह बात आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में केंद्रीय वित्त और कॉरपोरेट मामलों के राज्य मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने कही।
कंपनी अधिनियम के तहत शेल कंपनी को पारिभाषित नहीं किया गया है। यह आम तौर पर उस कंपनी को इंगित करता है जो सक्रिय कारोबार का संचालन नहीं करती है
इसके अलावा कंपनी के पास महत्वपूर्ण परिसंपत्ति नहीं है और इन कंपनियों का इस्तेमाल कुछ मामलों में अवैध उद्देश्य के लिए किया जाता है, जैसे कर चोरी, मनी लॉन्ड्रिंग, अस्पष्ट स्वामित्व, बेनामी संपत्ति आदि।
शेल कंपनी के मामले की जांच करने के लिए सरकार द्वारा गठित विशेष कार्य बल ने कुछ सिफारिशें की हैं, जिनमें शामिल है, शेल कंपनियों की पहचान के लिए अलर्ट के रूप में कुछ रेड फ्लैग संकेतकों का उपयोग करना।