कोलकाता (हि.स.)। पश्चिम बंगाल में चुनाव की ड्यूटी में लगे निर्वाचन अधिकारियों को भारी अव्यवस्थाओं का सामना करना पड़ा है। उन्हें चुनावी ड्यूटी के दौरान मृत मतदाताओं से रूबरू होने से लेकर अंधेरी गलियों में बने विद्यालयों तक पहुंचने का जोखिम उठाना पड़ा है। इसके अलावा उन्हें शौचालयों की सफाई करने जैसी अजीबो-गरीब चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा है। हालांकि इन सभी बाधाओं से पार पाते हुए इन चुनावकर्मियों ने लोकतंत्र को बरकरार रखने की अपनी प्रतिबद्धता को बनाए रखा है। दुर्गापुर के एक विद्यालय में पढ़ाने वाले शिक्षक अरूप कर्मकार ने चुनाव के दौरान के अपने अनुभव को साझा किया।
कर्मकार ने कहा, ”मेरी ड्यूटी आसनसोल लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली बाराबनी विधानसभा के एक स्कूल में बने बूथ पर थी। जैसे ही हम मतदान केंद्र पर पहुंचे तो सभी चुनावकर्मी, यहां तक की मैं खुद हैरान रह गया। मैथन बांध के आसपास की पहाड़ियों और विशाल जलाशय से घिरा यह दृश्य बेहद खूबसूरत था। हमें किसी भी राजनीतिक दल के समर्थकों या कार्यकर्ताओं ने परेशान नहीं किया।”
उन्होंने देखा कि शाम को स्कूल के बगल के एक मैदान में लगभग 50 गायों का झुंड इकट्ठा हो गया। यह जगह दरअसल उनका नियमित आश्रय स्थल थी। झुंड सुबह के समय वहां से चला जाता और सूर्यास्त के बाद वापस आ जाता था।
कर्मकार और उनके साथियों के लिए सब कुछ बिल्कुल सही चल रहा था लेकिन चुनावकर्मी उस समय हैरानी में पड़ गये जब उन्होंने एक मृत व्यक्ति को अपने सामने पाया।
उन्होंने कहा, ”मतदान के दौरान एक व्यक्ति मतदान केंद्र में आया। जब उसके नाम को सूची में जांचा गया तो उसका नाम मृतकों की सूची में था जबकि वह वास्तव में जीवित था और मतदान करने के लिए कह रहा था। बूथ पर मौजूद विभिन्न राजनीतिक दलों के मतदान कार्यकर्ताओं ने उसके दावे को सही पाया। उसके पास अपनी पहचान साबित करने के लिए सभी आवश्यक दस्तावेज थे और सत्यापन के बाद, उसे मतदान करने की अनुमति दी गई।”
बर्दवान-दुर्गापुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत एक बूथ पर तैनात एक अन्य स्कूल शिक्षक अंशुमन रॉय ने कहा कि जो शौचालय साफ-सुथरे थे उनमें केंद्रीय बल के जवानों ने ताला लगा दिया और जो गंदे थे वे चुनाव अधिकारियों के लिए खोलकर रखे गये थे।
हुगली जिले के आरामबाग लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत हरिपाल इलाके में चुनाव अधिकारी रथिन भौमिक को मतदान से पहले शौचालयों को साफ करना पड़ा ताकि उन्हें उपयोग के लायक बनाया जा सके।
भौमिक ने कहा, ”इन शौचालयों को बरसों से इस्तेमाल नहीं किया गया था। इस बारे में जब स्कूल की संचालिका से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि स्कूल में सिर्फ 40 विद्यार्थी हैं और उनमें से कोई भी इन शौचालयों को इस्तेमाल नहीं करता है। बाद में गांव शिक्षा समिति के कुछ सदस्य एक ब्रश और सफाई वाला तरल पदार्थ लेकर आए, जिनसे हमने शौचालयों को साफ किया।”