बिजली कंपनी के अधिकारी उपभोक्ताओं को तो नियमानुसार बिजली का उपयोग करने की सलाह देते हैं, लेकिन स्वयं नियम विरुद्ध कार्य करते हुए सरकार के आदेशों की अवहेलना कर नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रतिनिधियों ने विगत दिवस पूर्व क्षेत्र कंपनी के जबलपुर सिटी सर्किल के अंतर्गत दक्षिण शहर संभाग के कार्यपालन अभियंता अभिषेक विश्वकर्मा से तकनीकी कर्मचारियों की लंबित समस्याओं के निराकरण के लिए चर्चा की।
चर्चा के दौरान संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि तकनीकी कर्मचारियों के पास अक्सर ही सुरक्षा उपकरणों जैसे बस की सीढ़ी, टेस्टर, टॉर्च, पेचकस आदि की कमी रहती है। वहीं पर्याप्त संख्या में टावर गाड़ी नहीं होने से उपभोक्ताओं के कार्य समय पर नहीं हो पाते, साथ ही लाल रंग के हैंड ग्लव्स को पहनकर प्लास्क से कार्य करते नहीं बनता और कंपनी द्वारा दिए गए झूले में बैठकर भी सहजता से कार्य नहीं हो पाते तथा हमेशा दुर्घटना का भय बना रहता है।
इसके अलावा अधिकारियों द्वारा करंट का जोखिमपूर्ण कार्य करने के लिए कार्य की अधिकृत सूची नहीं दी जाती। वहीं आउटसोर्स, संविदा एवं नियमित कर्मचारियों से अवकाश के दिन भी कार्य कराया जाता है, लेकिन नियमानुसार दोगुनी दर से पारिश्रमिक का भुगतान नहीं किया जाता। साथ ही आउटसोर्स कर्मियों को ₹1000 जोखिम भत्ता भी नहीं दिया जा रहा।
संघ के सवालों का जवाब देते हुए कार्यपालन अभियंता ने आउटसोर्स, संविदा एवं नियमित कर्मचारियों की जो भी समस्या है, उसे शीघ्र पूरा किया जाने का आश्वासन देते हुए बताया कि हमारे पास करंट का कार्य करने के लिए नियमित कर्मचारियों की अत्यधिक कमी है। मेरे संभाग का क्षेत्रफल सबसे बड़ा है, जिसमें तीन उप संभाग हैं, दो डीसी है उन सभी में 106000 उपभोक्ता हैं। सिर्फ 52 नियमित कर्मचारी हैं, जिनको करंट का कार्य करने का अधिकार है। वहीं ट्रांसफार्मर की संख्या 1502 है। 18 सब स्टेशन हैं, सभी आउटसोर्स कर्मियों के भरोसे हैं। 240 आउटसोर्स कर्मचारी हैं जिनको करंट का कार्य करने का अधिकार नहीं है।
कार्यपालन अभियंता ने संघ प्रतिनिधियों को आश्वासन दिया है कि सभी मांगों पर कार्यवाही की जावेगी। इस दौरान संघ के हरेंद्र श्रीवास्तव, मोहन दुबे, लखन सिंह राजपूत, विनोद दास, इंद्रपाल सिंह, राजेश यादव, दशरथ शर्मा, अरुण मालवीय आदि उपस्थित थे।