Tuesday, November 5, 2024
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छह माह बीत जाने के बाद भी नियुक्ति नहीं दिए जाने पर हाई कोर्ट ने जारी किया अवमानना नोटिस

जोधपुर (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट में सहायक प्रोफेसर (सुपर स्पेशियलिटी) पर नियुक्ति देने के छह माह बीत जाने के बावजूद नियुक्ति नहीं देने को लेकर अवमानना याचिका पेश की गई है।

राजस्थान हाइकोर्ट ने अदालती आदेश के बावजूद सहायक प्रोफेसर (सुपर स्पेशियलिटी) पद पर नियुक्ति नहीं देने पर अतिरिक्त मुख्य सचिव, चिकित्सा विभाग शुभ्रा सिंह व रामनिवास मेहता आईएएस, सचिव आरपीएससी सहित अन्य अधिकारियों को अवमानना नोटिस जारी कर जवाब मांगा हैं। वरिष्ठ न्यायाधीश दिनेश मेहता की एकलपीठ ने डॉ. मोना सूद की अवमानना याचिका पर यह आदेश दिया।

अधिवक्ता यशपाल खिलेरी ने बताया कि उदयपुर निवासी याचिकाकर्ता डॉक्टर मोना सूद ने एमबीबीएस, जनरल मेडिसिन में स्नाकोत्तर पीजी डिग्री लेने के बाद एंडोक्रिनोलोजी विशेषज्ञता में सुपर स्पेशलिटी ष्ठरू कोर्स उत्तीर्ण कर रखा है तत्पश्चात याची ने राजस्थान लोकसेवा आयोग द्वारा सहायक प्रोफेसर (सुपर स्पेशियलिटी) के एक पद के लिए आवेदन मांगे जाने पर आवेदन किया। उक्त सम्पूर्ण चयन प्रक्रिया के पश्चात याची को प्रतीक्षा सूची में प्रथम स्थान पर चयनित किया गया।

मुख्य सूची में चयनित अभ्यर्थी द्वारा जॉइन नहीं करने पर नियमानुसार याची ही एक मात्र हकदार अभ्यर्थी होने के बावजूद उसे नियुक्ति नही देने पर अधिवक्ता ख़िलेरी के मार्फ़त रिट याचिका पेश की। हाइकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश डॉ पुष्पेंद्र सिंह भाटी ने रिपोर्टेबल निर्णय 01 दिसंबर 2023 से रिट याचिका स्वीकार कर तीन माह के भीतर भीतर सहायक प्रोफेसर (सुपर स्पेशलीटी) एंडोक्रिनोलोजी विषय मे नियुक्ति देने के आदेश दिए।

बावजूद निर्धारित समय निकलने के चिकित्सा विभाग ने नियुक्ति के लिए कोई कार्यवाही नहीं की, जिस पर अवमानना याचिका दायर कर रिपोर्टेबल निर्णय की पालना करवाने के लिए गुहार लगाई गई। अवमानना मामले की अगली सुनवाई 26 जुलाई 2024 को होगी।

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