विश्व पर्यावरण दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि स्वच्छ ऊर्जा के अभियान का बहुत बड़ा लाभ देश के कृषि क्षेत्र को मिलना स्वाभाविक है। आज विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर भारत ने एक और बड़ा कदम उठाया है। इथेनॉल सेक्टर के विकास के लिए एक विस्तृत रोडमैप आज जारी करने का सौभाग्य मिला है।
उन्होंने कहा कि देशभर में इथेनॉल के उत्पादन और वितरण से जुड़ा महत्वाकांक्षी E-100 पायलट प्रोजेक्ट भी पुणे में लॉन्च किया गया है। मैं पुणे वासियों को बधाई देता हूँ। अब इथेनॉल, 21वीं सदी के भारत की बड़ी प्राथमिकताओं से जुड़ गया है। आज हमने पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल ब्लेंडिंग के लक्ष्य को 2025 तक पूरा करने का संकल्प लिया है।
पीएम मोदी ने कहा कि 21वीं सदी के भारत को, 21वीं सदी की आधुनिक सोच, आधुनिक नीतियों से ही ऊर्जा मिलेगी। इसी सोच के साथ हमारी सरकार हर क्षेत्र में निरंतर नीतिगत निर्णय ले रही है। वन सन, वन वर्ल्ड , वन ग्रिड के विजन को साकार करने वाला इंटरनेशनल सोलर अलायंस हो, या फिर Coalition for Disaster Resilient Infrastructure की पहल हो, भारत एक बड़े वैश्विक विजन के साथ आगे बढ़ रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन की वजह से जो चुनौतियां सामने आ रही हैं, भारत उनके प्रति जागरूक भी है और सक्रियता से काम भी कर रहा है। 6-7 साल में अक्षय ऊर्जा की हमारी क्षमता में 250 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी हुई है। स्थापित रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता के मामले में भारत आज दुनिया के टॉप-5 देशों में है। सौर ऊर्जा की क्षमता को बीते 6 साल में लगभग 15 गुणा बढ़ाया है।
पीएम मोदी ने कहा कि जब पर्यावरण की रक्षा की बात हो, तो जरूरी नहीं कि ऐसा करते हुए विकास के कार्यों को भी अवरुद्ध किया जाए। इकोनॉमी और इकोलॉजी दोनों एक साथ चल सकती हैं, आगे बढ़ सकती हैं, भारत ने यही रास्ता चुना है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज देश के रेलवे नेटवर्क के एक बड़े हिस्से का बिजलीकरण किया गया है। देश के एयरपोर्ट्स को भी तेज़ी से सोलर पावर आधारित बनाया जा रहा है। 2014 से पहले तक सिर्फ 7 एयरपोर्ट्स में सोलर पावर की सुविधा थी, जबकि आज ये संख्या 50 से ज्यादा हो चुकी है।
पीएम मोदी ने कहा कि पिछले कुछ सालों में हमारे जंगल भी 15000 वर्ग किमी बढ़े हैं। हमारे देश में बाघों की संख्या दोगुनी बढ़ी और तेंदुओं की संख्या में 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पर्यावरण की रक्षा के लिए हमारे प्रयासों का संगठित होना बहुत ज़रूरी है। देश का एक-एक नागरिक जब जल, वायु और ज़मीन के संतुलन को साधने के लिए एकजुट होकर प्रयास करेगा, तभी हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को एक सुरक्षित पर्यावरण दे पाएंगे।