नई दिल्ली (हि.स.)। रक्षा मंत्रालय ने 156 लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (एलसीएच) प्रचंड के लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लि. (एचएएल) को 45 हजार करोड़ रुपये से अधिक का टेंडर दे दिया है। कंपनी ने कहा कि 156 हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टरों में से 90 भारतीय सेना (आईए) के लिए और शेष 66 भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के लिए खरीदे जाएंगे। केंद्र सरकार ने पिछले साल 30 नवंबर को एलसीएच प्रचंड खरीदने के लिए मंजूरी दी थी।
दुनिया का पहला स्वदेशी हल्का अटैक हेलीकॉप्टर (एलसीएच) ‘प्रचंड’ भारतीय सेना और वायु सेना के लिए नई ताकत बनकर उभरा है। इसे चीन और पाकिस्तान की सीमा पर तैनात करने के लिए वायु सेना ने 156 हेलीकॉप्टर खरीदने का प्रस्ताव सरकार को भेजा था, जिसे पिछले साल 30 नवंबर को मंजूरी मिली थी। पाकिस्तान की पश्चिमी सीमा को और अधिक सुरक्षित बनाने के लिए एलसीएच की पहली स्क्वाड्रन ‘धनुष’ राजस्थान के जोधपुर में पिछले साल 03 अक्टूबर को शुरू की गई थी। पहली खेप में एचएएल से मिले 04 हेलीकॉप्टरों को इसी दिन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वायु सेना के बेड़े में शामिल किया था। इसके बाद से एक साल के भीतर एचएएल से सेना को 05 और वायु सेना को 10 हेलीकॉप्टर मिल चुके हैं, जिनका इस्तेमाल दोनों सेनाएं कर रही हैं।
एलसीएच प्रचंड 5,000 मीटर (16,400 फ़ीट) की ऊंचाई पर उतर सकता है और उड़ान भर सकता है, जो इसे सियाचिन ग्लेशियर और पूर्वी लद्दाख के उच्च-ऊंचाई वाले क्षेत्रों में संचालन के लिए आदर्श स्थिति है। यह हवा से जमीन और हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों को भी दागने में सक्षम है और दुश्मन के हवाई रक्षा अभियानों को नष्ट कर सकता है। स्वदेशी रक्षा क्षमताओं को बढ़ावा देने के लिए रक्षा मंत्रालय ने 156 लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर खरीदने के लिए एचएएल को प्रस्ताव के लिए अनुरोध पत्र जारी किया है। भारत की प्रमुख एयरोनॉटिकल कंपनी एचएएल छह साल की समय-सीमा के भीतर पूरे ऑर्डर की आपूर्ति करेगी। इस परियोजना से हेलीकॉप्टर डिजाइन और विकास में भारत की आत्मनिर्भरता को और बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
एलसीएच प्रचंड में फिलहाल 45 फीसदी स्वदेशी सामग्री है, जो सीरियल उत्पादन शुरू होने के साथ 55 फीसदी तक बढ़ने की संभावना है। इस शक्तिशाली हेलीकॉप्टर को उच्च ऊंचाई वाले युद्ध और टोही मिशनों के लिए डिजाइन किया गया है। इसकी तैनाती सशस्त्र बलों को देश की सीमाओं की सुरक्षा में महत्वपूर्ण बढ़त प्रदान करेगी। विश्लेषकों का मानना है कि यह सौदा न केवल भारत की रक्षा तैयारियों को बढ़ाएगा, बल्कि इससे महत्वपूर्ण आर्थिक लाभ भी होगा।