राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने भारतीय नौसेना के लिए प्रेसिडेंट्स स्टैण्डर्ड एंड कलर और भारतीय नौसेना क्रेस्ट की एक नए डिज़ाइन को मंजूरी दे दी है, जिसका अनावरण 4 दिसंबर 2022 को नौसेना दिवस पर विशाखापत्तनम में किया गया था। औपनिवेशिक अतीत को पीछे छोड़ने के लिए जारी राष्ट्रीय प्रयास के अनुरूप नौसेना इनसाइन को हमारे इतिहास से प्रेरणा लेती एक नई डिजाइन में संशोधित किया गया, जहां व्हाइट एनसाइन पर लाल क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर रेखाओं को एक नीले अष्टकोण के साथ बदला गया, जिसमें ट्विन गोल्डन बॉर्डर्स शामिल थे, जिसमें एक स्पष्ट एंकर के ऊपर राष्ट्रीय प्रतीक और एंकर के स्टॉक पर ‘राष्ट्रीय प्रतीक ‘सत्यमेव जयते’ अंकित था। इसके अलावा, ऊपरी बाएं कैंटन पर राष्ट्रीय ध्वज को बरकरार रखा गया।
भारतीय नौसेना के लिए प्रेसिडेंट्स स्टैण्डर्ड एंड कलर की पूर्ववर्ती डिजाइन 6 सितंबर 2017 को स्थापित की गई थी। डिजाइन में केंद्र में एक-एक क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर लाल बैंड शामिल थे और उनके इंटरसेक्शन पर राष्ट्रीय प्रतीक डाला गया था। राष्ट्रीय ध्वज ऊपरी बाएं कैंटन में था और एक गोल्डन एलिफेंट फ्लाई साइड पर निचले दाएं कैंटन में था। यह डिजाइन तत्कालीन नौसेना इनसाइन से प्रेरित थी।
भारतीय नौसेना ने 2 सितंबर 2022 को एक नया नौसेना इनसाइन अपनाया, और भारतीय नौसेना को प्रदान प्रेसिडेंट्स स्टैण्डर्ड एंड कलर की नई डिजाइन में यह बदलाव शामिल है। प्रेसिडेंट्स स्टैण्डर्ड एंड कलर में तीन मुख्य घटक शामिल हैं- ऊपरी बाएं कैंटन में राष्ट्रीय ध्वज, फ्लाई साइड पर ऊपरी दाएं कैंटन पर सुनहरे रंग में ‘सत्यमेव जयते’ के साथ रेखांकित स्टेट एंब्लेम, और गोल्डन स्टेट एंब्लेम के नीचे एक नेवी ब्लू- गोल्ड अष्टकोण। अष्टकोण में दो स्वर्णिम अष्टकोणीय बॉर्डर हैं, जिसमें स्वर्ण राष्ट्रीय प्रतीक (अशोक स्तंभ के शेर- नीली देवनागरी लिपि में ‘सत्यमेव जयते’ के साथ रेखांकित) एक एंकर के ऊपर है और एक ढाल पर आरोपित है।
अष्टकोण के भीतर शील्ड के नीचे एक नेवी ब्लू बैकग्राउंड पर सुनहरे बॉर्डर वाले रिबन में भारतीय नौसेना के आदर्श वाक्य ‘शं नो वरुणः’ को सुनहरे देवनागरी लिपि में अंकित किया गया है। गोल्डन स्टेट एंब्लेम ‘शक्ति, साहस, आत्मविश्वास और गौरव’ का प्रतीक है, जबकि नेवी ब्लू- गोल्डन अष्टकोणीय आकार शिवाजी महाराज राजमुद्रा या छत्रपति शिवाजी महाराज की मुहर से प्रेरणा लेता है और आठ दिशाओं (चार कार्डिनल और चार इंटर कार्डिनल) का प्रतिनिधित्व करता है एवं भारतीय नौसेना की समुद्री पहुंच का प्रतीक है। प्रेसिडेंट्स स्टैण्डर्ड एंड कलर की नई डिजाइन भारत की गौरवशाली समुद्री विरासत पर प्रकाश डालता है और एक शक्तिशाली, साहसी, आत्मविश्वासी और गर्वित भारतीय नौसेना का भी प्रतीक है।
फाउल एंकर को क्लियर एंकर से बदलने के लिए इंडियन नेवी क्रेस्ट में बदलाव किया गया है। क्लियर एंकर समुद्री क्षेत्र में किसी भी चुनौती का मुकाबला करने के लिए भारतीय नौसेना की दृढ़ता को दर्शाता है और अपने नाविकों की दृष्टि, मिशन और आकांक्षाओं में स्पष्टता का प्रतिनिधित्व करता है। क्लियर एंकर भारत के तट एवं समुद्री हितों को सुरक्षित करने के प्रति भारतीय नौसेना की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है। परिवर्तन का अर्थ क्रेस्ट डिजाइनों में प्रतीकात्मक नॉटिकल रोप को हटाना है। संशोधित भारतीय नौसेना क्रेस्ट को नौसेना दिवस 2022 के अवसर पर 4 दिसंबर 2022 से लागू किया गया है।
न्यू नेवल क्रेस्ट में अशोक सिंह के सिर के नीचे एक पारंपरिक नौसैनिक क्लियर एंकर है, जिसके नीचे ‘शं नो वरुण:’ लिखा हुआ है, जो वेदों का एक आह्वान है, जिसका अर्थ है ‘महासागर के देवता हमारे लिए शुभ हों’ है। स्वतंत्र भारत के पहले भारतीय गवर्नर जनरल श्री चक्रवर्ती राजगोपालाचारी के सुझाव पर इस वाक्यांश को भारतीय नौसेना के आदर्श वाक्य के रूप में अपनाया गया था। राष्ट्रीय आदर्श वाक्य ‘सत्यमेव जयते’ अर्थात ‘सत्य की हमेशा विजय होती है’ क्लियर एंकर के स्टॉक पर अंकित है। भारतीय नौसेना क्रेस्ट में परिवर्तन के अनुरूप भारतीय नौसेना कमान मुख्यालय (जिसमें इनसेट में भारतीय नौसेना क्रेस्ट है) के क्रेस्ट में मामूली संशोधन को भी भारत के माननीय राष्ट्रपति द्वारा अनुमोदित किया गया है।
देश के लिए विशिष्ट और सराहनीय सेवा के लिए, भारतीय नौसेना के स्टैटिक और मोबाइल फॉर्मेशन्स को क्रमशः प्रेसिडेंट्स स्टैण्डर्ड एंड कलर से सम्मानित किया जाता है। 27 मई, 1951 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद द्वारा प्रेसिडेंट्स कलर से सम्मानित की जाने वाली तीन सेवाओं में से भारतीय नौसेना पहली थी। भारतीय नौसेना में, पश्चिमी, दक्षिणी और पूर्वी नौसेना कमान, दोनों पश्चिमी और पूर्वी बेड़े, पनडुब्बी शाखा, नौसेना वायु सेना, आईएनएस शिवाजी, आईएनएस वलसुरा और भारतीय नौसेना अकादमी को प्रेसिडेंट्स कलर प्रदान किया गया है। 22वीं मिसाइल वेसल स्क्वाड्रन प्रेसिडेंट्स स्टैण्डर्ड से सम्मानित होने वाला पहली नौसेना लड़ाकू स्क्वाड्रन थी।