विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मन्दिर में आज ‘श्री महाकाल लोक’ का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकार्पण कर राष्ट्र को समर्पित किया। पीएम मोदी द्वारा रिमोट का बटन दबाते ही रक्षा सूत्र से निर्मित शिव लिंग के रूप में भगवान महाकाल मानों स्वयं प्रकट हो गये। साथ ही पूरा वातावरण शिवमय हो गया। पीएम मोदी ने ‘श्री महाकाल लोक’ का भ्रमण कर निर्मित कलाकृतियों को देखा। प्रधानमंत्री ने लोकार्पण के पूर्व श्री महाकाल लोक में उपस्थित साधु-सन्तों का अभिवादन किया।
जब प्रधानमंत्री नंदी द्वार से श्री महाकाल लोक तक पहुंचे तो पारंपरिक धोती पहने हुए थे। आंतरिक गर्भगृह में पहुंचने के बाद प्रधानमंत्री ने पूजा और दर्शन किए और मंदिर के पुजारियों की उपस्थिति में भगवान श्री महाकाल के सामने हाथ जोड़कर प्रार्थना की। आरती करने और पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद प्रधानमंत्री आंतरिक गर्भगृह के दक्षिणी कोने में बैठ गए और मंत्रों का जाप करते हुए ध्यान किया। प्रधानमंत्री नंदी प्रतिमा के बगल में भी बैठे और हाथ जोड़कर प्रार्थना की।
प्रधानमंत्री ने श्री महाकाल लोक राष्ट्र को समर्पित करते हुए पट्टिका का अनावरण किया। प्रधानमंत्री ने मंदिर के संतों से भी मुलाकात की और उनसे संक्षिप्त बातचीत की। इसके बाद प्रधानमंत्री ने महाकाल लोक मंदिर परिसर का दौरा किया, वहां भ्रमण किया और सप्तऋषि मंडल, मंडपम, त्रिपुरासुर वध और नवगढ़ को देखा। प्रधानमंत्री ने भित्ति चित्र देखे जिनमें कई कहानियां उकेरी हुई थीं। इनमें शिव पुराण में वर्णित सृजन का कार्य, गणेश के जन्म, सती और दक्ष की कहानियां शामिल थीं। पीएम मोदी ने बाद में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम देखा जिसे इस अवसर पर प्रदर्शित किया गया और मानसरोवर में मलखंब प्रदर्शन भी देखा। इसके बाद उन्होंने भारत माता मंदिर के दर्शन किए।
पीएम मोदी को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने श्री महाकाल लोक में निर्मित भित्ति चित्रों, स्तंभों एवं प्रतिमाओं में वर्णित शिव लीलाओं की जानकारी दी। इस दौरान राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल भी उपस्थित थे। पीएम मोदी ने श्री महाकाल लोक में भगवान श्री शंकर की ध्यानस्थ प्रतिमा, सप्तर्षि मंडल आदि का अवलोकन किया। इसके बाद उन्होंने ई-कार्ट में बैठ कर 900 मीटर लम्बे ‘श्री महाकाल लोक’ परिसर में निर्मित नयनाभिराम धार्मिक-आध्यात्मिक और शिव लीला पर आधारित कला रूपों का अवलोकन किया।
भारत के विभिन्न हिस्सों से आये लगभग 700 कलाकारों ने अपने नृत्य, गीत और अभिनय से भगवान शिव की लीलाओं की प्रस्तुति दी। विप्र समूह ने समवेत स्वरों में सस्वर वेद मंत्रों का पाठ किया। भगवान शंकर की लीलाओं की कलाकृतियों, वैदिक मंत्रोच्चार, कलाकारों की भावपूर्ण प्रस्तुतियों के बीच श्री महाकाल लोक जीवंत हो उठा। भारत सहित दुनिया के 40 देश इस आध्यात्मिक, अलौकिक, अद्वितीय एवं अदभुत अनुभूति के साक्षी बनें। लोकार्पित प्रथम चरण में 350 करोड़ से महाकाल प्लाजा, महाकाल कॉरिडोर, मिड-वे झोन, महाकाल थीम पार्क, घाट एवं डेक एरिया, नूतन स्कूल कॉम्पलेक्स, गणेश स्कूल कॉम्पलेक्स का कार्य पूर्ण हो चुका है। महाकाल कॉरिडोर के प्रथम घटक में पैदल चलने के लिये उपयुक्त 200 मीटर लम्बा मार्ग बनाया गया है। इसमें 25 फीट ऊँची एवं 500 मीटर लम्बी म्युरल वाल बनाई गई है।
साथ ही 108 शिव स्तंभ, शिव की मुद्राओं सहित विविध प्रतिमाएँ निर्मित हो चुकी हैं, जो अलग ही छटा बिखेर रही हैं। लोटस पोंड, ओपन एरिया थिएटर तथा लेक फ्रंट एरिया, ई-रिक्शा एवं आकस्मिक वाहनों के लिये मार्ग भी बनाये गये हैं। बड़े रूद्र सागर की झील में स्वच्छ पानी भरा गया है। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया गया है कि यह पानी स्वच्छ भी रहे। श्री महाकाल लोक के दूसरे चरण में महाराजवाड़ा परिसर का विकास किया जायेगा, जिसमें ऐतिहासिक महाराजवाड़ा भवन का हैरिटेज के रूप में पुन: उपयोग, कुंभ संग्रहालय के रूप में पुराने अवशेषों का समावेश कर महाकाल मन्दिर परिसर से एकीकरण किया जायेगा। दूसरे चरण के कार्य 2023-24 में पूर्ण होंगे।