Thursday, October 31, 2024
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देश की राजनीति को परिवारवाद-भ्रष्टाचार से युवा और नारीशक्ति ही बाहर निकाल सकती है: प्रधानमंत्री मोदी

नई दिल्ली (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि देश की राजनीति को परिवारवाद और भ्रष्टाचार की बुराइयों से हमारी युवाशक्ति और नारीशक्ति ही बाहर निकाल सकती है। उन्होंने कहा कि हमें राजनीति से भी इन बुराइयों को समाप्त करने का पराक्रम दिखाना होगा और इन्हें परास्त करना होगा।

प्रधानमंत्री मंगलवार को दिल्ली के लाल किले में नौ दिवसीय पराक्रम दिवस समारोह का उद्घाटन करने के बाद सभा को संबोधित कर रहे थे। नेताजी के जयंती के उपलक्ष्य में देश में पराक्रम दिवस मनाया जाता है। कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने आईएनए के अनुभवी लेफ्टिनेंट आर मदावन को सम्मानित किया।

प्रधानमंत्री ने जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा कि आज पराक्रम दिवस के मौके पर भारत पर्व भी शुरू हो रहा है। अगले नौ दिनों में, भारत पर्व में गणतंत्र दिवस की झांकियों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से देश की विविधता का प्रदर्शन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में, हमने देखा है कि जब से 23 जनवरी को ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में घोषित किया गया है, तब से गणतंत्र दिवस समारोह 23 जनवरी से 30 जनवरी को बापू की पुण्य तिथि तक जारी रहता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि नेताजी, देश के सामने आने वाली चुनौतियों को भली-भांति समझते थे, उनके प्रति सबको आगाह करते थे। उन्होंने कहा था कि अगर हमें भारत को महान बनाना है, तो राजनीतिक लोकतंत्र, लोकतांत्रिक समाज की नींव सशक्त होनी चाहिए। लेकिन दुर्भाग्य से आजादी के बाद उनके इस विचार पर ही कड़ा प्रहार किया गया। उन्होंने कहा, “आज़ादी के बाद परिवारवाद, भाई-भतीजावाद जैसी बुराइयां भारत के लोकतंत्र पर हावी होती गईं। ये भी एक बड़ा कारण रहा है कि भारत उस गति से विकास नहीं कर पाया, जिस गति से उसे करना चाहिए था।” मोदी ने आगे कहा, “देश की राजनीति को परिवारवाद और भ्रष्टाचार की बुराइयों से हमारी युवाशक्ति और नारीशक्ति ही बाहर निकाल सकती है। हमें राजनीति से भी इन बुराइयों को समाप्त करने का पराक्रम दिखाना होगा, इन्हें परास्त करना होगा।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारा लक्ष्य साल 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाना है। हमारा लक्ष्य, भारत को आर्थिक रूप से समृद्ध, सांस्कृतिक रूप से सशक्त और सामरिक रूप से समर्थ बनाना है। मोदी ने कहा कि 2014 में जब हमारी सरकार आई तो हम ‘सबका साथ, सबका विकास’ की भावना के साथ आगे बढ़े। देश देख रहा है कि अब हालात कैसे बदल रहे हैं।

उन्होंने कहा कि आजाद हिंद फौज के क्रांतिवीरों के सामर्थ्य का साक्षी रहा यह लाल किला एक बार फिर नई ऊर्जा से जगमग है। अमृतकाल के शुरुआती वर्ष में पूरे देश में संकल्प से सिद्धि का उत्साह और ये पल वाकई अभूतपूर्व है।

अयोध्या में हुए श्रीराम जन्मभूमि मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह का स्मरण करते हुए मोदी ने कहा कि कल ही पूरा विश्व, भारत की सांस्कृतिक चेतना के एक ऐतिहासिक पड़ाव का साक्षी बना है। भव्य राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की ऊर्जा को, उन भावनाओं को, पूरे विश्व ने, पूरी मानवता ने अनुभव किया है और आज हम नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जयंती का उत्सव मना रहे हैं।

भारत की आज़ादी के लिए नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बलिदान को याद करते हुए मोदी ने कहा कि उन्होंने देश के लिए अपने सपनों और आकांक्षाओं की तिलांजलि दे दी।वे चाहते तो अपने लिए एक अच्छा जीवन चुन सकते थे, लेकिन उन्होंने अपने सपनों को भारत के संकल्प के साथ जोड़ दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि ये नेताजी ही थे जिन्होंने पूरी ताकत से लोकतंत्र की जननी के रूप में भारत की पहचान को विश्व के सामने रखा। जब दुनिया में कुछ लोग भारत में लोकतंत्र के प्रति आशंकित थे, तब नेताजी ने उन्हें भारत के लोकतांत्रिक अतीत को याद दिलाया। नेताजी कहते थे कि लोकतंत्र, मानव संस्था है।

उन्होंने कहा कि नेताजी जानते थे कि गुलामी सिर्फ शासन की ही नहीं होती है, बल्कि विचार और व्यवहार की भी होती है। इसलिए उन्होंने विशेष रूप से तब की युवा पीढ़ी में इसको लेकर चेतना पैदा करने का प्रयास किया।

नेताजी के कार्यों से भावी पीढ़ी को प्रोत्साहित करने के लिए उनकी प्रतिमा को कर्तव्य पथ पर लगाने का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि नेताजी का जीवन और उनका योगदान, युवा भारत के लिए एक प्रेरणा है। ये प्रेरणा हमारे साथ हमेशा रहे, कदम-कदम पर रहे इसके लिए बीते 10 वर्षों में हमने निरंतर प्रयास किया है। हमने कर्तव्य पथ पर नेताजी की प्रतिमा को उचित स्थान दिया है। हमारा मकसद कर्तव्य पथ पर आने वाले हर देशवासी को नेताजी का कर्तव्य के प्रति समर्पण याद कराना है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज का भारत, विश्व-मित्र के रूप में पूरी दुनिया को जोड़ने में जुटा है। आज हम दुनिया की चुनौतियों के समाधान देने के लिए आगे बढ़कर काम कर रहे हैं। एक तरफ हम दुनिया को युद्ध से शांति की तरफ ले जाने का प्रयास कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ अपने हितों की सुरक्षा के लिए भी पूरी तरह से तत्पर हैं।

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