देश में विद्युत क्षेत्र में चल रहे सुधारों के तहत केंद्रीय विद्युत मंत्रालय ने विद्युत वितरण कंपनियों के लिए समय-समय पर अपने यहाँ एनर्जी एकाउन्टिंग करवाना अनिवार्य कर दिया है। इस संबंध में ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 के प्रावधानों के तहत आवश्यक आदेश ऊर्जा मंत्रालय के अनुमोदन के बाद ऊर्जा दक्षता ब्यूरो द्वारा जारी किया गया।
जारी की गई अधिसूचना किसी भी प्रमाणित ऊर्जा प्रबंधक के माध्यम से 60 दिनों के भीतर वितरण कम्पनियों (डिसकॉम्स) द्वारा अपने तिमाही एनर्जी एकाउन्टिंग करवाने का निर्धारण करती है। इसके साथ ही एक स्वतंत्र मान्यता प्राप्त ऊर्जा लेखा परीक्षक द्वारा वार्षिक ऊर्जा लेखा परीक्षा भी करवानी होगी। इन दोनों रिपोर्टों को सार्वजनिक डोमेन में प्रकाशित किया जाएगा।
ऊर्जा लेखांकन रिपोर्ट उपभोक्ताओं की विभिन्न श्रेणियों द्वारा बिजली की खपत और विभिन्न क्षेत्रों में ट्रांसमिशन और वितरण हानियों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करेगी। इससे उच्च नुकसान और चोरी के क्षेत्रों की पहचान हो सकेगी तथा और सुधारात्मक कार्रवाई को सक्षम किया जा सकेगा। यह उपाय नुकसान और चोरी के लिए अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने में भी सक्षम होगा।
प्राप्त आंकड़ों के आधार पर वितरण कंपनियां अपने बिजली के नुकसान को कम करने के लिए उचित उपाय करने में भी सक्षम हो सकेंगी। साथ ही वितरण कंपनियां उपयुक्त बुनियादी ढांचे का उन्नयन करने के अतिरिक्त मांग पक्ष के प्रबंधनप्रयासों की प्रभावी तरीके से योजना बना सकेंगे। इस पहल से हमारे पेरिस समझौते के लक्ष्यों को पूरा करने में भारत की जलवायु कार्रवाइयों में और अधिक योगदान दिया जा सकेगा।
इन नियमों को ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 के दायरे में जारी किया गया है और इनका समग्र उद्देश्य वितरण क्षेत्र की अक्षमताओं एवं हानियों को कम करना है ताकि विद्युत वितरण कंपनियां आर्थिक व्यवहार्यता की ओर बढ़ सकें। ऊर्जा दक्षता ब्यूरो ने राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त ऊर्जा लेखा परीक्षकों और ऊर्जा प्रबंधकों के एक ऐसे समूह को मान्यता दी है, जिन्हें ऊर्जा लेखांकन और लेखा परीक्षा रिपोर्ट तैयार करने में विशेषज्ञता प्राप्त है और जो नुकसान में कमी और अन्य तकनीकी उपायों के लिए विधिवत सिफारिशें दे सकते हैं।
एनर्जी एकाउन्टिंग नेटवर्क के वितरण की परिधि में विभिन्न वोल्टेज स्तरों पर सभी प्रकार के ऊर्जा प्रवाह के लेखांकन का निर्धारण करता है तथा जिसमें अक्षय ऊर्जा उत्पादन और ओपन एक्सेस उपभोक्ताओं के साथ-साथ अंतिम उपभोक्ताओं द्वारा की गई ऊर्जा की खपत भी शामिल है।
आवधिक आधार पर ऊर्जा लेखांकन और उसके बाद में वार्षिक ऊर्जा लेखा परीक्षा करवाने से उच्च हानि और चोरी के क्षेत्रों की पहचान करने में सहायता मिलेगी और उसके बाद सुधारात्मक कार्रवाई करने के प्रयासों पर ध्यान केंद्रित किया जा सकेगा। आज जारी किए गए नियम विद्युत वितरण कंपनियों के लिए वार्षिक ऊर्जा लेखा परीक्षा और तिमाही आवधिक ऊर्जा लेखांकन हेतु आवश्यक शर्तों और रिपोर्टिंग की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बहुप्रतीक्षित व्यापक ढांचा प्रदान करते हैं।