नैनीताल (हि.स.)। एक आईपीएस अधिकारी के जीवन के वास्तविक संघर्ष पर हालिया के दिनों में बनी बहुचर्चित रही फिल्म ‘12वीं फेल’ में जो कलाकार पूरी फिल्म की कहानी को ‘वॉइस ओवर’ के जरिये बताता और आगे फिल्म के नायक को उसके संघर्ष में आगे बढ़ाने वाले दोस्त ‘प्रीतम पांडे’ के रूप में पूरी फिल्म के केंद्र में रहा, वह कलाकार कोई और नहीं बल्कि उत्तराखंड के हल्द्वानी निवासी अनंत विजय जोशी हैं। उन्होंने हल्द्वानी के प्रतिष्ठित आम्रपाली कॉलेज से होटल मैनेजमेंट में स्नातक किया है और यहीं से उनकी कला यात्रा आगे बढ़ी है।
‘12वीं फेल’ के अलावा टीवी पर ‘सब ग्रो कर रहे हैं’ वाले विज्ञापनों के साथ पहाड़ों पर भी कई जगह लगे महिंद्रा थार व लैमिनेटेड प्लाई आदि के बड़े-बड़े विज्ञापनों की होर्डिंगों में भी नजर आ रहे अनंत का परिवार मूल रूप से अल्मोड़ा जनपद मुख्यालय के पास हवालबाग से है, जबकि माता-पिता मधु जोशी व गोपाल जोशी वर्तमान में हल्द्वानी में ही कठघरिया-गांधी आश्रम के पास रहते हैं। वर्ष 2011 से मुंबई फिल्मोद्योग में कार्य कर रहे और अपने कॅरियर की अनंत ऊंचाइयों की ओर चल पड़े अनंत इससे पहले बीते वर्ष ही नेटफ्लिक्स की फिल्म कटहल और उससे पहले नेटफ्लिक्स की ही फिल्म कोबाल्ट ब्लू में मुख्य नायक की भूमिका में नजर आये थे।
गौरतलब है कि ‘12वीं फेल’ भी नेटफ्लिक्स की ही फिल्म है, जिसमें उन्हें विधु विनोद चोपड़ा जैसे बड़े फिल्मकार के निर्देशन में अनंत को अपनी अभिनय प्रतिभा दिखाने का मौका मिला है। इसके बाद उनके पास कई फिल्मों के प्रस्ताव हैं। अगले माह 1 मार्च से शुरू हो रही नेटफ्लिक्स की सिरीज ‘मामला लीगल है’ में भी वह प्रमुख भूमिका में नजर आने वाले हैं, जबकि इन दिनों भोपाल मध्य प्रदेश में महिलाओं की सामाजिक समस्याओं को समेटे एक प्रेम कहानी पर फिल्माई जा रही फिल्म में भी वह नायक की भूमिका में हैं।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले अनंत ‘अल्ट बालाजी’ के ‘वर्जिन भास्कर’ सिरीज में मुख्य किरदार भाष्कर त्रिपाठी के रूप में काफी चर्चित रहे थे और पसंद किये गये थे। इसके अलावा वह अल्ट बालाजी की वेब सिरीज गंदी बात व एकता कपूर के साथ पौरुषपुर में राजकुमार के रूप में एवं नेटफ्लिक्स की ‘यह काली काली आंखें’ में भी प्रमुख भूमिकाओं में रहे हैं। साथ ही वह वो पांच दिन, ये सिनेमा है, मेरा राम खो गया के साथ अपने पहले टीवी सीरियल जिंदगी अभी बाकी है मेरे घोस्ट, स्टार प्लस पर क्या कसूर है अमला का, कर्ण संगिनी में भगवान कृष्ण के रूप में, तेरा मेरा सतारा, स्टोरी 9 माह की, बी माई क्वारन्टाइन आदि में भी नजर आये हैं।
भोपाल में अपनी फिल्म के सेट से ‘हिन्दुस्थान समाचार’ से बात करते हुए उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में फिल्मोद्योग के लिये काफी संभावनाएं हैं। एक दौर में काफी फिल्में यहां फिल्मायी गयीं, लेकिन वह इस बात को उठाते हैं कि अधिकांश फिल्मों में उत्तराखंड और पहाड़ के साथ हिमाचल प्रदेश व कश्मीर के साथ कई बार नेपाल भी आपस में मिल जाते हैं और उनमें पहाड़ी चरित्रों का मजाक भी उड़ाया जाता है। इधर सरकार के प्रयासों से एक बार फिर से उत्तराखंड में लगातार फिल्मों की शूटिंग हो रही है। इससे उत्तराखंड तो पूरी दुनिया के सामने आता ही है, स्थानीय युवाओं को भी अपनी प्रतिभा के प्रदर्शन का मौका मिलता है। यह बहुत सुखद है।