नई दिल्ली (हि.स.)। दुनियाभर में कैंसर के बढ़ते मामलों को देखते हुए नई उपचार विधियों की आवश्यकता भी बढ़ रही है। कीमोथेरेपी और सर्जरी जैसे पारंपरिक उपचारों की अपनी सीमाएँ हैं, जिनमें दवा प्रतिरोध और गंभीर दुष्प्रभाव शामिल हैं। इन चुनौतियों से निपटने के लिए नैनोथेरेपी जैसे नवीन उपचार विकसित हो रहे हैं, जिसके कम दुष्प्रभाव हैं।
इसी क्रम में शोधकर्ताओं ने प्रभावी चुंबकीय हाइपरथर्मिया-आधारित कैंसर थेरेपी के लिए हीट शॉक प्रोटीन 90 अवरोधक (HSP90I) के साथ अल्ट्रा-छोटे चुंबकीय नैनोकणों (MD) की आवश्यक खुराक के संयोजन का उपयोग किया है। यह तकनीक आवश्यक कीमोथेरेपी खुराक को कम करके उपचार की प्रभावकारिता को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ा सकती है, जो एक सहायक चिकित्सा के रूप में काम करती है जो दुष्प्रभावों को कम करती है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के स्वायत्त संस्थान नैनो विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (INST), मोहाली के वैज्ञानिकों ने दिखाया है कि एक संयोजन चिकित्सा गर्मी आधारित कैंसर उपचार की प्रभावशीलता में सुधार कर सकती है। इसमें संयोजन रणनीति शामिल है जो चुंबकीय हाइपरथर्मिया-आधारित कैंसर थेरेपी (MHCT) के साथ हीट शॉक प्रोटीन 90 (HSP 90) के अवरोधक 17-डीएमएजी का उपयोग करती है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अनुसार अनुसंधान दल ने प्रदर्शित किया कि एमएनपी, जब एक वैकल्पिक चुंबकीय क्षेत्र (AMF) के संपर्क में आता है, तो ट्यूमर से प्रभावी ढंग से मुकाबला कर सकता है। एसीएस नैनो में प्रकाशित विधि कम आक्रामक है और कम दुष्प्रभाव पैदा करती है।
मंत्रालय का कहना है कि नई चिकित्सा के नैदानिक अनुप्रयोग को समझने और वैकल्पिक कैंसर चिकित्सा विकसित करने के लिए व्यापक वैश्विक शोध की आवश्यकता है। यह अध्ययन अधिक कुशल और सहनीय कैंसर-विरोधी उपचारों का मार्ग प्रशस्त करता है, लाखों रोगियों को पर्याप्त लाभ प्रदान करता है और हाइपरथर्मिया-आधारित उपचारों के लिए नई दिशाएँ प्रदान करता है।