नई दिल्ली (हि.स.)। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के अमल पर फिलहाल रोक नहीं लगेगी। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने 9 अप्रैल को अगली सुनवाई करने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि दोनों पक्ष 5-5 पन्ने का लिखित संक्षिप्त नोट जमा करवाएं। केंद्र सरकार 8 अप्रैल तक जवाब दे।
सुनवाई के दौरान इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि अगर इस दौरान किसी को नागरिकता मिले तो हमें सुप्रीम कोर्ट में दोबारा आने की अनुमति मिले। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि ठीक है।
सुनवाई के दौरान कुछ याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील इंदिरा जय सिंह ने इस पर रोक लगाने की मांग की। उन्होंने कहा कि इस मामले को बड़ी बेंच के सामने भेजा जाए। कोर्ट ने पूछा कि 238 याचिकाओं में से कितने मामले में हमने नोटिस जारी किया है।
चीफ जस्टिस ने कहा कि जिन याचिकाओं पर नोटिस जारी नहीं हुआ है उन पर नोटिस जारी करेंगे। याचिकाकर्ता ने कहा कि ऐसे में नोटिफिकेशन के लागू होने पर रोक लगाई जानी चाहिए। इस पर केंद्र के नोटिफिकेशन पर रोक की मांग वाली याचिका पर जवाब देने का समय मांगा है, ऐसे में उन्हें समय देना चाहिए। चीफ जस्टिस ने कहा कि इस मामले से जुड़े असम से संबंधित मामले की सुनवाई हम अलग से कर सकते हैं।
16 मार्च को एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने नागरिकता संशोधन कानून के नोटिफिकेशन पर रोक लगाने की मांग करते हुए याचिका दायर की। 15 मार्च को इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष मेंशन करते हुए कहा था कि यह मामला कोर्ट में है और सरकार ने इसे लागू कर दिया। उसके बाद कोर्ट ने इस याचिका पर 19 मार्च को सुनवाई का आदेश दिया।
आईयूएमएल के अलावा एक याचिका डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया ने दायर की है। याचिका में नागरिकता संशोधन कानून को लागू करने से रोकने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि धर्म के आधार पर अप्रवासियों को नागरिकता देने का कानून धर्मनिरपेक्षता के मौलिक सिद्धांत का उल्लंघन है। नागरिकता संशोधन कानून के जरिये पहली बार देश में धर्म के आधार पर अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के अवैध अप्रवासियों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है। धर्म के आधार पर नागरिकता देना संविधान के अनुच्छेद 14 एवं 21 का उल्लंघन है।
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने 11 मार्च को नागरिकता संशोधन कानून का नोटिफिकेशन जारी कर दिया। इसी नोटिफिकेशन को आईयूएमएल ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।