मध्य प्रदेश की बिजली कंपनी में कार्यरत लाइनमैनों को नौकरी के अंतिम दिन तक पोल पर चढ़कर कार्य करना पड़ रहा है। वर्षों की नौकरी के बाद उम्रदराज और अशक्त होने के बावजूद लाइनमैनों को पोल पर चढ़कर फाल्ट सुधारना पड़ रहा है। पूरी नौकरी के दौरान उन्हें न पदोन्नति मिल रही है और न ही सेवानिवृत्ति के पूर्व मिलने वाले अवकाश की सुविधा मिल रही है।
इसके पीछे दो प्रमुख कारण बताए जा रहे हैं, जिसमें पहला तो यहीं है कि लाइनमैनों के लगातार सेवानिवृत्त होने के बावजूद नियमित पदों पर भर्ती नहीं की जा रही है, जिससे नियमानुसार करंट का कार्य करने वाले लाइन कर्मियों की बेतहाशा कमी हो चुकी है, जिससे सेवानिवृत्ति की दहलीज पर खड़े उम्रदराज कर्मियों को पोल पर चढ़ाकर करंट का जोखिमपूर्ण कार्य कराया जा रहा है।
वहीं दूसरा कारण ये है कि लाइनमैनों को पूरी नौकरी के दौरान एक भी पदोन्नति नहीं दी जा रही है, जिससे सेवानिवृत्ति के समय जिन लाइनमैनों को लाइन इंस्पेक्टर अथवा लाइन सुपरवाइजर होना चाहिए वो सेवानिवृत्ति के दिन तक लाइनमैन ही बने रहे। मतलब लाइनमैन के पद पर नियुक्ति मिली और लाइनमैन के पद पर ही सेवानिवृत्ति मिल रही है। जिन लाइन कर्मियों को युवा लाइनमैनों से करंट के कार्य कराना हैं, उन्हें खुद ही पोल पर चढ़कर करंट का कार्य करना पड़ रहा है।
मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि तत्कालीन मध्य प्रदेश विद्युत मंडल और वर्तमान बिजली कंपनियों में 1988 से लाइन कर्मियों को 9-9 वर्षों में मिलने वाली पदोन्नति नहीं दी गई है, जिससे वे लाइनमैन के पद पर ही सेवानिवृत्त हो रहे हैं। लाइन कर्मी का 62 साल की उम्र में पोल पर चढ़कर करंट का कार्य करना प्रशंसा की बात तो है, लेकिन ये कंपनी प्रबंधन के लिए शर्म की बात होनी चाहिए कि उसने लाइन कर्मियों को उनके अधिकार और सुविधाओं से वंचित रखा हुआ है।
इसके अलावा हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि बिजली कंपनियों में लाइन कर्मियों के लगभग 50 हजार पद रिक्त हैं, जबकि सन 2000 में मध्य प्रदेश विद्युत मंडल के कंपनीकरण के बाद पिछले 24 वर्षों में नियमित पदों पर सिर्फ एक बार 2013 में 1100 नियमित लाइन कर्मियों की भर्ती की गई थी। लाइन कर्मियों की भर्ती नहीं होने के कारण उत्पन्न हुई लाइनमैनों की बेतहाशा कमी के चलते उम्रदराज कर्मियों को जान का जोखिम उठाते हुए पोल पर चढ़कर कार्य करना पड़ता है। क्योंकि नियमानुसार नियमित कर्मी ही पोल पर चढ़कर करंट का जोखिमपूर्ण कार्य कर सकते हैं।