हिन्दू संस्कृति में वट सावित्री व्रत का विशेष महत्व है। पौराणिक मान्यता है कि जो सुहागिन स्त्री विधिपूर्वक इस व्रत को करती है, उसके पति को मृत्यु का भय नहीं होता। हिंदू पंचांग के अनुसार वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को रखा जाता है।
वट सावित्री का व्रत सुहागिन स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु एवं अखंड सौभाग्य के लिए रखती हैं। इस दिन सुहागिन महिलाएं व्रत रखकर वट वृक्ष की पूजा एवं परिक्रमा करती है।
इस बार अमावस्या तिथि को लेकर संशय बना हुआ है। वहीं विद्वानों के अनुसार अमावस्या तिथि आज यानी 9 जून दिन बुधवार को दोपहर 1:57 बजे से शुरू हो गई है तथा अमावस्या तिथि का समापन 10 जून को शाम 4:20 बजे होगा।
हिंदू मान्यताओं के अनुसार उदया तिथि को व्रत रखना उत्तम एवं शुभ फलदायी होता है। इसलिए सुहागिन स्त्रियां 10 जून गुरुवार को वट सावित्री व्रत रखकर वट वृक्ष की पूजा और परिक्रमा करें। उसके बाद अगले दिन व्रत का पारण करें।
हालांकि वट सावित्री व्रत वाले दिन अमावस्या तिथि को सूर्य ग्रहण भी लगने जा रहा है। लेकिन घबराने की बात नहीं है, ये सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा। इसलिए इस ग्रहण का सूतक काल भी मान्य नहीं होगा। फिर भी सुहागिन स्त्रियां वट वृक्ष का पूजन एवं परिक्रमा प्रातः काल ही कर लें। सूर्य ग्रहण कल 10 जून की दोपहर 1:42 बजे से शुरू होगा और शाम 6: 41 बजे मोक्ष होगा।