जयपुर (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट ने अदालती आदेशों की पालना में कोताही बरतने व इनकी पालना के लिए पक्षकारों की ओर से विभागों में दिए अभ्यावेदनों का कई सालों तक निपटारा नहीं होने को गंभीर माना है। इसके साथ ही अदालत ने मुख्य सचिव को निर्देश दिए हैं कि वह हर विभाग में प्रमुख सचिव की अध्यक्षता में शिकायत निवारण कमेटी बनाए। यह कमेटी देखेगी कि अदालती आदेश की पालना के संबंध में पक्षकारों की ओर से दिए गए अभ्यावेदनों का निपटारा बिना किसी परेशानी के दो महीने की समयावधि में हो सके।
अदालत ने मुख्य सचिव को यह सुनिश्चित करने को कहा है कि हर विभाग शिकायत निवारण कमेटी बनाने के लिए तुरंत कार्रवाई करें और प्रदेश के हर विभाग में यह कमेटी दो महीने में बन जाए। जस्टिस अनूप कुमार ढंड ने यह आदेश जगदीश चन्द्र अग्रवाल की याचिका पर दिए। अदालत ने मुख्य सचिव को कहा है कि वे आदेश की पालना रिपोर्ट तीन महीने में पेश करें और याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन को दो महीने में तय करें और तब तक याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाए। अदालत ने चेतावनी दी है कि यदि ऐसा नहीं हुआ तो जिम्मेदार के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। अदालत ने कहा कि आदेशों की पालना किसी भी कीमत पर होना जरूरी है।
याचिका में कहा था कि उसके बजाज नगर स्थित मकान के नियमितिकरण का मामला दो बार हाईकोर्ट में आया और अदालत ने 8 मार्च 2017 व 4 जुलाई 2023 को आदेश जारी कर राज्य सरकार को याचिकाकर्ता का अभ्यावेदन तय करने कहा कहा था। आदेश की पालना के लिए उसने राज्य सरकार को अभ्यावेदन दे दिए, लेकिन उनका निस्तारण अभी तक नहीं हुआ है। ऐसे में राज्य सरकार को दिशा-निर्देश दिए जाए।