वर्तमान में बृहस्पति देव कुंभ राशि में 21 जून को प्रातः 7:55 बजे से वक्री हुये हैं। ये 120 दिन उल्टी चाल चलकर 18 अक्टूबर 2021 को रात्रि 10: 02 बजे मकर राशि में ही मार्गी होंगे। उल्टी चाल के कारण राशियों पर इसके प्रभाव में अत्यधिक परिवर्तन होगा, जोकि राशि के अनुसार बताया जा रहा है। कुंभ राशि में बृहस्पति देव 21 जून को प्रातः 7:55 बजे से 14 सितंबर को 3:34 बजे दिन तक वक्री रहेंगे। बृहस्पति देव इसके उपरांत मकर राशि प्रवेश करेंगे।

मेष राशि
मेष राशि के जातकों में बृहस्पति भाग्य और व्यय भाव का स्वामी होता है। वक्री होने के उपरांत भाग्य भाव पर इसका असर कम हो जाएगा तथा वक्री होने के कारण आपके व्यय में कमी आएगी। वक्री बृहस्पति मेष लग्न के गोचर में ग्यारहवें भाव में है। उनकी दृष्टि तीसरे भाव पंचम भाव तथा सप्तम भाव पर रहेगी। गुरु यहां पर अपनी सम राशि कुंभ में बैठे हुए हैं, अतः ये धनधान्य की वृद्धि करेंगे। तीसरे भाव को शत्रु दृष्टि से देख रहे हैं, अतः भाइयों से संबंध बढ़ेगा। पराक्रम में वृद्धि होगी। बच्चों को कष्ट होगा एवं जीवनसाथी को से संबंध बहुत अच्छे रहेंगे। इस प्रकार वक्री गुरु मेष राशि के जातकों के लिए लाभदायक हैं।

वृष राशि
वृष राशि में बृहस्पति अष्टम भाव एवं एकादश भाव का स्वामी होता है। वक्री होने के दौरान यह अष्टम भाव के लिए फायदेमंद होगा। एकादश भाव के लिए इसके शुभ गुणों में में कमी आएगी। वृष राशि के जातकों के दशम भाव में गुरु बैठे हुए हैं उनकी दृष्टि द्वितीय भाव चतुर्थ भाव एवं छठे भाव पर होगी। वक्री दृष्टि के काम जातक का कार्यालय में सम्मान बढ़ेगा धन धन की वृद्धि होगी। माताजी का स्वास्थ्य खराब हो सकता है। जनता से संबंध में कमी आएगी। पेट में अगर पीड़ा है तो पीड़ा समाप्त होगी। इस प्रकार वक्री गुरु वृष राशि के जातकों के लिए लाभदायक हैं।

मिथुन राशि
मिथुन राशि की कुंडली में बृहस्पति सप्तम भाव और दशम भाव का स्वामी होता है। इन दोनों भावों पर इसका असर विपरीत होगा। मिथुन राशि के जातकों की कुंडली में गोचर में गुरु नवम भाव में विराजमान है। वे लग्न, तृतीय भाव तथा पंचम भाव को देख रहे हैं। गुरु के वक्री हो जाने के कारण जातक के भाग्य में वृद्धि होगी। जातक का स्वास्थ्य उत्तम होगा। पराक्रम में कमी आएगी और बच्चों के तरफ से सुख मिलेगा।

कर्क राशि
कर्क राशि के कुंडली में बृहस्पति छठे भाव और नवम भाव का स्वामी होता है। बृहस्पति के वक्री होने के कारण आपको पेट का रोग हो सकता है, साथ ही भाग्य भी कम साथ देगा। कर्क राशि के जातक के गोचर में वर्तमान में बृहस्पति अष्टम भाव में विराजमान है। उनकी दृष्टि द्वादश भाव द्वितीय भाव और चतुर्थ भाव पर पड़ रही है। वक्री गुरु जातक का दुर्घटनाओं से बचाव करेंगे। खर्चे में कमी करेंगे। धन लाभ में कमी आएगी। माताजी का स्वास्थ्य ठीक होगा ।जनता में आपके प्रसिद्धि बढ़ेगी।

सिंह राशि
सिंह राशि की कुंडली में बृहस्पति पंचम भाव एवं अष्टम भाव का स्वामी होता है। बृहस्पति के वक्री होने से संतान को कष्ट होगा छात्रों को पढ़ाई में बाधा आएगी तथा दुर्घटनाओं से आप का बचाव होगा। सिंह राशि की कुंडली के गोचर में वर्तमान में बृहस्पति सप्तम भाव में हैं यहां से ये एकादश भाव लग्न और तृतीय भाव को देख रहे हैं। इसके कारण आपके जीवनसाथी को कष्ट हो सकता है, धन लाभ होगा, स्वास्थ्य में गिरावट आएगी और पराक्रम बढ़ेगा।

कन्या राशि
कन्या राशि की कुंडली में बृहस्पति चतुर्थ भाव एवं सप्तम भाव के स्वामी होते हैं वक्री होने के उपरांत जनता में आपकी प्रतिष्ठा गिर सकती है तथा आपके जीवन साथी को कष्ट हो सकता है। कन्या राशि की कुंडली के गोचर में वर्तमान में बृहस्पति छठे भाव में है। यहां से यह दशम भाव बारहवां भाव तथा द्वितीय भाव को देख रहा है। जिसके कारण आप के रोग बढ़ सकते हैं। कार्यालय में मान प्रतिष्ठा बढ़ हो सकती है। धन वृद्धि की आशा की जा सकती है। इस प्रकार वक्री बृहस्पति आपको लाभ की स्थिति में रखेंगे।

तुला राशि
तुला राशि की कुंडली में बृहस्पति तीसरे और छठे भाव के स्वामी होते हैं। बृहस्पति के वक्री होने के उपरांत आपके पराक्रम में कमी आएगी और आपके रोगों में वृद्धि होगी। तुला राशि के जातकों में के गोचर में इस समय बृहस्पति पंचम भाव में है। उनकी दृष्टि नवम भाव एकादश भाव तथा लग्न पर पड़ रही है। जिसके कारण आपको अपने संतान से सामान्य सुख मिलेगा। छात्रों की पढ़ाई ठीक-ठाक चलेगी। भाग्य से आपको मदद मिल पाएगी। आप के आय में कमी होगी तथा आपका स्वास्थ्य सामान्य रहेगा

वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि की कुंडली में बृहस्पति दूसरे और पांचवें भाव के स्वामी होते हैं बृहस्पति के वक्री होने के कारण धन आने में कमी आएगी तथा संतान का सुख भी आपको कम प्राप्त होगा। वृश्चिक राशि के जातक के गोचर में इस समय गुरु चतुर्थ भाव में विराजमान है ‌ जहां से इनकी दृष्टि अष्टम भाव दशम भाव या द्वादश भाव पर पड़ रही है। वक्री गुरु के कारण जनता में आपका सम्मान और माताजी का स्वास्थ्य पहले जैसा ही रहेगा। एक्सीडेंट से आप बचेंगे। आपके खर्चे में कमी आएगी।

धनु राशि
धनु राशि की कुंडली में बृहस्पति लग्न के तथा चतुर्थ भाव के स्वामी होते हैं। वक्री बृहस्पति के कारण इन भावों के गुणें  में कमी आएगी। जैसे कि आप वाहन सुख मकान सुख नया मकान खरीदना नया वाहन खरीदना स्वास्थ्य आदि में आप मनचाहा नहीं कर पाएंगे। धनु राशि के जातकों के गोचर में इस समय बृहस्पति तृतीय भाव में विराजमान हैं। तृतीय भाव से ये सप्तम, नवम और एकादश भाव को देख रहे हैं। आपका पराक्रम पहले जैसा ही रहेगा। जीवनसाथी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा, परंतु भाग्य आपका साथ कम देगा। पैसे आने का योग बन रहा है।

मकर राशि
मकर राशि की कुंडली में बृहस्पति द्वादश भाव और तृतीय भाव का स्वामी है। गुरु के वक्री होने से आपके पराक्रम में कमी आएगी तथा खर्चे भी कम होंगे। मकर राशि की कुंडली के गोचर में इस समय बृहस्पति तृतीय भाव में विराजमान हैं। जहां से वे छठे भाव अष्टम भाव और द्वादश भाव को देख रहे हैं। वक्री गुरु के कारण आपके पास धन आने का पहले ही जैसा योग है। रोगों में कमी आएगी। दुर्घटनाएं हो सकती हैं। शासन से आप को समर्थन मिलेगा।

कुंभ राशि
कुंभ राशि की कुंडली में बृहस्पति द्वितीय भाव और एकादश भाव के स्वामी होते हैं। बृहस्पति के वक्री होने के कारण आपके पास धन की आवक में कमी आएगी। कुंभ राशि के जातकों के गोचर में इस समय बृहस्पति लग्न में बैठे हुए हैं। जिसके कारण वे पंचम भाव, सप्तम भाव तथा नवम भाव को देख रहे हैं। वक्री गुरु के कारण आपका स्वास्थ्य पहले जैसा ही रहेगा। संतान से आपको सुख मिलेगा। जीवनसाथी का स्वास्थ्य खराब हो सकता है। भाग्य आपका साथ देगा।

मीन राशि
मीन राशि की कुंडली में बृहस्पति लग्न और दशम भाव का स्वामी होता है। बृहस्पति के वक्री होने के कारण आपको स्वास्थ्य की परेशानी हो सकती है तथा शासन से भी आपको दिक्कत आ सकती है आपके पिताजी का स्वास्थ्य भी खराब हो सकता है। बृहस्पति मीन राशि के जातकों के गोचर में इस समय द्वादश भाव में बैठे हुए हैं। जहां से वे चतुर्थ भाव छठे भाव और अष्टम भाव को देख रहे हैं। वक्री गुरु के कारण आपके खर्चे में कमी आएगी। वाहन, मकान आदि का योग बनेगा। दुर्घटनाओं में कमी आएगी।

पं अनिल कुमार पाण्डेय
एस्ट्रोसाइंटिस्ट और वास्तु शास्त्री
सागर, मध्य प्रदेश
संपर्क-7999207755