अपनी बातों में- अलका जैन

तुम जुदा हो गए हो, खुद को संभाले रखना
अपनी बातों में न अब मेरे हवाले रखना

मुझको दिल मे न रखो मेरी तमन्ना न करो,
मुझसे बावस्ता सवालों को भी टाले रखना

तुम कभी लौट न पाओ तो कोई बात नहीं
अपनी यादों से मेरे लम्हे निकाले रखना

राज़-ए-दिल लब से बयां हो ये ज़रूरी तो नहीं,
अपनी आँखों पे भी ख़ामोशी के ताले रखना

ख़ुद को दुनिया के लिए जितना भी चाहो बदलो
मेरी ख़ातिर वो ही अंदाज़ निराले रखना

मेरी हस्ती पे शफ़क़्क़त का तेरी साया रहे,
धूप या छाँव हो तुम मुझको संभाले रखना

मेरी गलियों को भी है तेरी गुज़र की चाहत,
अपने पैरों में मेरी राह के छाले रखना

-अलका जैन