मन की बात के 48वें संस्करण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हर भारतीय को हमारे सशस्त्र बलों पर, सेना के जवानों पर गर्व है। प्रत्येक भारतीय चाहे वो किसी भी क्षेत्र,जाति, धर्म, का क्यों न हो, हमारे सैनिकों के प्रति अपनी खुशी और समर्थन अभिव्यक्त करने के लिए हमेशा तत्पर रहता है। कल भारत के सवा-सौ करोड़ देशवासियों ने 2016 में हुई सर्जिकल स्ट्राइक को याद करते हुए पराक्रम पर्व मनाया, जब हमारे सैनिकों ने हमारे राष्ट्र पर आतंकवाद की आड़ में प्रॉक्सी वॉर की धृष्टता करने वालों को मुँहतोड़ ज़वाब दिया था। पराक्रम पर्व पर देश में अलग-अलग स्थानों पर हमारे सशस्त्र बलों ने प्रदर्शनियां लगाईं ताकि देश के नागरिक खासकर युवा-पीढ़ी यह जान सके कि हमारी ताक़त क्या है, हम कितने सक्षम हैं और कैसे हमारे सैनिक अपनी जान जोखिम में डालकर देशवासियों की रक्षा करते हैं। पराक्रम पर्व जैसा दिवस युवाओं को हमारी सशस्त्र सेना के गौरवपूर्ण विरासत की याद दिलाता है और देश की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने के लिए हमें प्रेरित भी करता है। पराक्रम पर्व के अवसर पर प्रधानमंत्री ने वीरों की भूमि राजस्थान के जोधपुर में एक कार्यक्रम में स्वयं के भाग लेने का जिक्र करते हुए कहा कि अब यह तय हो चुका है कि हमारे सैनिक उन सबको मुंहतोड़ ज़वाब देंगे जो हमारे राष्ट्र में शांति और उन्नति के माहौल को नष्ट करने का प्रयास करेंगे।
हम शांति में विश्वास करते हैं और इसे बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं, लेकिन सम्मान से समझौता करके और राष्ट्र की सम्प्रभुता की कीमत पर कतई नहीं, भारत सदा ही शांति के प्रति वचनबद्ध और समर्पित रहा है। 23 सितम्बर को हमने इस्राइल में हाइफा की लड़ाई के सौ वर्ष पूरे होने पर मैसूर, हैदराबाद और जोधपुर लांसर्स के हमारे वीर सैनिकों को याद किया जिन्होंने आक्रान्ताओं से हाइफा को मुक्ति दिलाई थी, यह भी शांति की दिशा में हमारे सैनिकों द्वारा किया गया एक पराक्रम था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज भी संयुक्त राष्ट्र की अलग-अलग पीस कीपिंग फोर्सेस में भारत सबसे अधिक सैनिक भेजने वाले देशों में से एक है। दशकों से हमारे बहादुर सैनिकों ने ब्लू हेलमेट पहन कर विश्व में शांति कायम रखने में अहम भूमिका निभाई है।
उन्होंने कहा कि 8 अक्टूबर को हम वायुसेना दिवस मनाते हैं। 1932 में छह पायलट और 19 वायु सैनिकों के साथ एक छोटी सी शुरुआत से हमारी वायुसेना आज 21वीं सदी की सबसे साहसिक और शक्तिशाली वायु सेना में शामिल हो चुकी है। यह अपने आप में एक यादगार यात्रा है। देश के लिए अपनी सेवा देने वाले सभी वायुसेना के जवानों और उनके परिवारों का मैं अपने ह्रदय की गहराई से अभिनंदन करता हूँ।
उन्होंने मन की बात में कहा कि 1947 में वायुसेना ने श्रीनगर को हमलावरों से बचाने के लिए ये सुनिश्चित किया कि भारतीय सैनिक और उपकरण युद्ध के मैदान तक समय पर पहुँच जाएँ। वायुसेना ने 1965 में भी दुश्मनों को मुँहतोड़ ज़वाब दिया। 1999 करगिल की घुसपैठियों के कब्ज़े से मुक्त कराने में भी वायुसेना की भूमिका अहम रही है। राहत कार्य हो, बचाव कार्य हो या फिर आपदा प्रबंधन, हमारे वायु सेना के जवानों के सराहनीय कार्य को लेकर देश वायुसेना के प्रति कृतज्ञ है।
देश में स्त्री और पुरुष की समानता सुनिश्चित करने में वायुसेना ने मिसाल कायम करते हुए अपने प्रत्येक विभाग के द्वार उनके लिए खोल दिए हैं। अब महिलाओं के पास अस्थायी सेवा आयोग और स्थायी सेवा आयोग का विकल्प भी है जिसकी घोषणा प्रधानमंत्री ने लाल किले से की थी। भारत गर्व से कह सकता है कि भारत की सेना में सशस्त्र बलों में पुरुष शक्ति ही नहीं, स्त्री-शक्ति का भी उतना ही योगदान बनता जा रहा है। नारी सशक्त तो है, अब सशस्त्र भी बन रही है।
उन्होंने नौसेना अधिकारी अभिलाष टॉमी का जिक्र करते हुए कहा कि पिछले दिनों नौसेना के हमारे अधिकारी अभिलाष टॉमी अपने जीवन और मृत्यु की लड़ाई लड़ रहे थे और पूरा देश उन्हें बचाने के लिए चिंतित था। टोमी एक बहुत साहसी अधिकारी हैं। वे अकेले कोई भी आधुनिक तकनीक बिना, एक छोटी सी नाव ले कर विश्व भ्रमण करने वाले पहले भारतीय थे। पिछले 80 दिनों से, वे दक्षिण हिन्द महासागर में गोल्डन ग्लोब रेस में भाग लेने समुंदर में अपनी गति को बनाये रखते हुए आगे बढ़ रहे थे, लेकिन भयानक समुद्री तूफ़ान ने उनके लिए मुसीबत पैदा की। लेकिन भारत के नौसेना का ये वीर समुंदर के बीच अनेक दिनों तक जूझता रहा, जंग करता रहा। कुछ दिन पहले जब अभिलाष को समुंदर से बचा करके बाहर ले आये तब मैंने उनसे बात की थी। इतने संकट से बाहर आने के बाद भी उनका जो ज़ज्बा था, उनका जो हौसला था और फिर एक बार ऐसा ही कुछ पराक्रम करने का जो संकल्प उन्होंने मुझे बताया, वो देश की युवा-पीढ़ी के लिए प्रेरणा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 2 अक्टूबर 2018 को महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाई जाएगी। पीएम मोदी ने मन की बात में गांधी जयंती का भी जिक्र किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे राष्ट्र के लिए 2 अक्टूबर के दिन के महत्व को बच्चा-बच्चा जानता है। इस वर्ष 2 अक्टूबर का और एक विशेष महत्व है। अब से 2 साल के लिए हम महात्मा गाँधी की 150वीं जयंती के निमित्त विश्वभर में अनेक कार्यक्रम करने वाले हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि महात्मा गाँधी के विचारों ने पूरी दुनिया को प्रेरित किया है। डॉ मार्टिन लूथर किंग जूनियर, नेल्सन मंडेला जैसी महान विभूतियाँ, हर किसी ने गाँधी जी के विचारों से शक्ति पाई है, जिससे वे अपने लोगों को समानता और सम्मान का हक दिलाने के लिए लम्बी लड़ाई लड़ सके। प्रधानमंत्री ने कहा कि गाँधी जी का एक जंतर आज भी उतना ही महत्वपूर्ण है और वह ये है कि हम खरीदारी करते समय यह सोचें कि मैं जो चीज़ खरीद रहा हूँ उससे मेरे देश के किस नागरिक का लाभ होगा, कौन भाग्यशाली होगा जिसका मेरी खरीद से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तरीके से लाभ होगा। देश से लगाव और देशवासियों से प्रेम की ये भावना छोटे से कद-काठी वाले उस महा-मानव के रग-रग में रची-बसी थी। दो दिन बाद पूज्य बापू के साथ ही हम शास्त्री जी की भी जयंती मनायेंगे। शास्त्री जी का नाम आते ही हम भारतवासियों के मन में एक असीम श्रद्धा का भाव उमड़ पड़ता है।