Tuesday, April 30, 2024
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दत्तात्रेय होसबले फिर बने सरकार्यवाह, साल 2027 तक रहेंगे पद पर

नागपुर (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नागपुर में चल रही अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में दत्तात्रेय होसबले को फिर से सरकार्यवाह चुना गया है। सरकार्यवाह का कार्यकाल 3 वर्षों का होता है। इस लिहाज से होसबले 2027 तक इस पद पर बने रहेंगे।

नागपुर में 15 मार्च से चल रही प्रतिनिधि सभा की बैठक का रविवार को समापन है। इस प्रतिनिधि सभा ने सर्वसम्मति से अगले 3 वर्षो के लिए दत्तात्रेय को फिर एक बार सरकार्यवाह चुना है। होसबले साल 2021 से सरकार्यवाह का दायित्व संभाल रहे थे। इससे पहले भैयाजी जोशी सरकार्यवाह की जिम्मेदारी निभा रहे थे।

दत्तात्रेय होसबाले कर्नाटक के शिमोगा के रहने वाले हैं। 1 दिसंबर, 1955 को जन्मे होसबाले मात्र 13 साल की उम्र में वर्ष 1968 में संघ से जुड़ गए थे। वर्ष 1972 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (एबीवीपी) में शामिल हुए। होसबाले ने बैंगलोर यूनिवर्सिटी से अंग्रेजी भाषा में पोस्ट ग्रैज्युएशन किया है। दत्तात्रेय होसबले एबीवीपी कर्नाटक के प्रदेश संगठन मंत्री रहे। इसके बाद एबीवीपी के राष्ट्रीय मंत्री और सह संगठन मंत्री रहे। करीब 20 वर्षो तक एबीवीपी के राष्ट्रीय संगठन मंत्री रहे। इसके बाद करीब 2002-03 में संघ के अखिल भारतीय सह बौद्धिक प्रमुख बनाए गए। वे वर्ष 2009 से सह सर कार्यवाह थे।

दत्तात्रेय होसबाले को मातृभाषा कन्नड़ के अतिरिक्त अंग्रेजी, तमिल, मराठी, हिंदी व संस्कृत सहित अनेक भाषाओं का ज्ञान है। होसबले वर्ष 1975-77 के जेपी आंदोलन में भी सक्रिय थे और लगभग पौने दो वर्ष तक ‘मीसा’ के अंतर्गत जेल में रहे। जेल में होसबोले ने दो हस्तलिखित पत्रिकाओं का संपादन भी किया था।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में प्रत्येक 3 वर्षों पर चुनाव की प्रक्रिया अपना कर जिला संघचालक, विभाग संघचालक, प्रांत संघचालक, क्षेत्र संघचालक के साथ साथ सरकार्यवाह का चुनाव होता है। फिर ये लोग अपनी कार्यकारिणी की घोषणा करते हैं, जो अगले 3 वर्षों तक काम करती है। आवश्यकतानुसार बीच में भी कुछ पदों पर बदलाव होता रहता है। क्षेत्र प्रचारक और प्रांत प्रचारकों के दायित्व में बदलाव भी प्रतिनिधि सभा की बैठक में होती है।

संघ में प्रतिनिधि सभा निर्णय लेने वाला विभाग है। विश्व के सबसे बड़े संगठन में सरकार्यवाह पद के लिए चुनाव बेहद सरल पद्धति से होता है। इस चुनाव प्रक्रिया में पूरी केंद्रीय कार्यकारिणी, क्षेत्र व प्रांत के संघचालक, कार्यवाह व प्रचारक और संघ की प्रतिज्ञा किए हुए सक्रिय स्वयंसेवकों की ओर से चुने गए प्रतिनिधि शामिल होते हैं। वही सरकार्यवाह का चयन करते हैं।

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