Sunday, May 5, 2024
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क्रिप्टो करेंसी एवं पार्ट टाइम नौकरी देने की धोखाधड़ी में शामिल 100 से अधिक वेबसाइटों को सरकार ने किया ब्लॉक

केंद्रीय गृह मंत्रालय साइबर अपराध को रोकने और लोगों को साइबर खतरे से बचाने के लिए प्रतिबद्ध है। भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4सी) देश में साइबर अपराध से समन्वित और व्यापक तरीके से निपटने के लिए गृह मंत्रालय की एक पहल है। I4सी, गृह मंत्रालय ने अपने वर्टिकल नेशनल साइबर क्राइम थ्रेट एनालिटिक्स यूनिट (एनसीटीएयू) के माध्यम से पिछले सप्ताह संगठित निवेश/कार्य आधारित– पार्ट टाइम नौकरी देने की धोखाधड़ी में शामिल 100 से अधिक वेबसाइटों की पहचान की और उन पर अंकुश लगाने की सिफारिश की थी।

केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के तहत अपने अधिकार का प्रयोग करते हुए इन वेबसाइटों को अवरुद्ध कर दिया है। कार्य आधारित एवं संगठित अवैध निवेश से संबंधित आर्थिक अपराधों में सहायता प्रदान करने वाली इन वेबसाइटों के बारे में यह पता चला है कि इन्हें डिजिटल विज्ञापन, चैट मैसेंजर और म्यूल और रेन्टिड खातों का प्रयोग करके विदेशी एजेंटों द्वारा संचालित किया गया हैं। यह भी पता चला कि कार्ड नेटवर्क, क्रिप्टो मुद्रा, विदेशी एटीएम निकासियों और अंतरराष्ट्रीय फिनटेक कंपनियों का उपयोग करके आर्थिक धोखाधड़ी से प्राप्त अवैध धन को भारत से बाहर बड़े पैमाने पर वैध करते हुए (मनीलॉन्ड्रिंग) पाया गया है।

इस बारे में, 1930 हेल्पलाइन और एनसीआरपी के माध्यम से कई शिकायतें प्राप्त हुई थीं और ये अपराध नागरिकों के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रहे थे और इसमें डेटा सुरक्षा संबंधी चिंताएं भी शामिल थीं।

इन धोखाधड़ी में आमतौर पर निम्न चरण शामिल होते हैं

विदेशी विज्ञापनदाताओं द्वारा कई भाषाओं में “घर बैठे नौकरी”, “घर बैठे कमाई कैसे करें” आदि जैसे प्रमुख शब्दों का उपयोग करते हुए गूगल और मेटा जैसे मंचों पर लक्षित डिजिटल विज्ञापन दिए जाते हैं। इनके निशाने पर अधिकतर सेवानिवृत्त कर्मचारी, महिलाएं और पार्ट टाइम नौकरी की तलाश कर रहे बेरोजगार युवा रहते हैं।

ऐसे विज्ञापनों पर क्लिक करने पर, व्हाट्सएप/टेलीग्राम का उपयोग करने वाला एक एजेंट संभावित पीड़ित व्‍यक्ति के साथ बातचीत शुरू करता है, जो उसे वीडियो लाइक और सब्सक्राइब, मैप्स रेटिंग आदि जैसे कुछ कार्य करने के लिए तैयार करता है।

कार्य पूरा होने पर, ऐसे शिकार व्‍यक्ति को शुरू में कुछ कमीशन दिया जाता है और उसे दिए गए कार्य के बदले अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए और अधिक निवेश करने के लिए कहा जाता है।

विश्वास प्राप्‍त करने के बाद, जब वह व्‍यक्ति बड़ी रकम जमा करता है, तो जमा राशि जब्त कर ली जाती है और इस तरह उस व्‍यक्ति को धोखा दिया जाता है।

एहतियात बरतने के लिए यह सलाह दी जाती है कि

इंटरनेट पर प्रायोजित इस तरह की अधिक से अधिक कमीशन का भुगतान करने वाली ऑनलाइन योजनाओं में निवेश करने से पहले सोच-समझ कर निर्णय लें।

यदि कोई अज्ञात व्यक्ति आपसे व्हाट्सएप/टेलीग्राम पर संपर्क करता है, तो उसके साथ बिना उचित सत्यापन के वित्तीय लेनदेन करने से बचें।

यूपीआई ऐप में उल्लिखित रिसीवर के नाम का उचित तरीक से सत्‍यापन करें। यदि प्राप्तकर्ता कोई रेंडम व्यक्ति है, तो यह एक म्‍यूल खाता हो सकता है और उसकी योजना धोखाधड़ी हो सकती है। इसी तरह, उस स्रोत की भी जांच करें जहां से प्रारंभिक कमीशन प्राप्त हो रहा है।

नागरिकों को अज्ञात खातों से लेनदेन करने से बचना चाहिए, क्योंकि ये मनी लॉन्ड्रिंग और आतंक के वित्तपोषण में शामिल हो सकते हैं और पुलिस द्वारा ऐसे खातों के अवरुद्ध होने और अन्य कानूनी कार्रवाई का भी कारण बन सकते हैं।
नागरिकों को यह भी सुझाव दिया गया है कि वे ऐसे धोखेबाजों द्वारा उपयोग में लाए गए फोन नंबरों और सोशल मीडिया हैंडल के बारे में तुरंत एनसीआरपी www.cybercrime.gov.in पर रिपोर्ट करें।

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