चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद इसरो ने किया आदित्य एल1 का सफल प्रक्षेपण

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के भरोसेमंद ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी-एक्सएल) ने आज श्रीहरिकोटा रेंज से भारत के पहले सौर मिशन आदित्य एल1 का प्रक्षेपण किया। केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने इसे भारत के लिए ‘‘सुनहरा क्षण’’ की संज्ञा दी। पीएसएलवी-सी57 द्वारा आदित्य एल1 से दोपहर करीब एक बजे प्रक्षेपित किए जाने के तुरंत बाद मिशन नियंत्रण कक्ष में इसरो के वैज्ञानिकों और अभियंताओं को संबोधित करते हुए डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा, ”पूरी दुनिया ने सांस रोककर इसे देखा और यह वास्तव में भारत के लिए सुनहरा क्षण है।”

केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारतीय वैज्ञानिक वर्षों से एक साथ मिलकर दिन-रात काम और मेहनत कर रहे हैं, लेकिन अब पुष्टि और राष्ट्र को दिए गए वचन को पूरा करने का क्षण आया है। श्री सिंह कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, अंतरिक्ष,परमाणु ऊर्जा और प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री भी हैं। डॉ जितेन्द्र सिंह ने भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए नए अवसर खोलकर और हमें यह बताने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को धन्यवाद दिया कि आकाश इसकी सीमा नहीं है। उन्होंने कहा, “सितारों तक पहुंचने और ब्रह्मांड के रहस्यों को खोजने के लिए हमें आत्मविश्वास, साहस और दृढ़ विश्वास देने के लिए भी माननीय प्रधानमंत्री को धन्यवाद और हमें हमारी अंतरिक्ष बिरादरी की विशाल क्षमता को समझाने के लिए भी धन्यवाद।”

डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा, “चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद आदित्य एल-1 का सफल प्रक्षेपण ‘संपूर्ण विज्ञान और पूरे राष्ट्र’ के दृष्टिकोण का भी प्रमाण है, जिसे हमने अपनी विश्व संस्कृति में अपनाने की कोशिश की है।” उन्होंने आगे कहा, ‘इस दृष्टि को अमली जामा पहनाने का श्रेय इसरो को जाता है और देश भर के विज्ञान संस्थान इस दृष्टि को साकार करने में किसी न किसी रूप में- छोटे या बड़े रूप में- अपना योगदान देने के लिए आगे आए हैं। इनमें इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स, बेंगलुरु, नेशनल एयरोस्पेस लैबोरेटरीज, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, मुंबई, एनजीआरआई नागपुर, आईआईटी खड़गपुर, आईआईटी मद्रास, आईआईटी दिल्ली, आईआईटी मुंबई शामिल हैं।’ इसे एक टीम को प्रयास बताते हुए, डॉ जितेंद्र सिंह ने आदित्य एल1 प्रक्षेपण को “गणना का दिन” करार दिया। उन्होंने कहा, ”यह दिन, 2 सितंबर 2023, एक हिसाब-किताब का दिन है जब हम अमृतकाल के अगले 25 वर्षों में आगे बढ़ेंगे और भारत माता अपने 140 करोड़ बच्चों की सामूहिक इच्छाशक्ति और सामूहिक प्रयास से विश्व स्तर पर गौरव के स्थान तक पहुंचने और उस पर कब्जा करने का प्रण लेती है।”

इससे पहले, इसरो ने पुष्टि कर दी थी कि पीएसएलवी-सी57 रॉकेट के जरिए आदित्य-एल1 का प्रक्षेपण सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है। इसके साथ, भारत की पहली सौर वेधशाला ने सूर्य-पृथ्वी (लैग्रेंज बिंदु) एल1 के गंतव्य के लिए अपनी यात्रा शुरू कर दी है। इसरो ने कहा कि अपने सौर पैनलों को तैनात करने के साथ, आदित्य-एल1 ने बिजली पैदा करना शुरू कर दिया है। आदित्य एल1 सूर्य का अध्ययन करने वाला पहला अंतरिक्ष आधारित भारतीय मिशन है। अगले चार महीनों में विभिन्न कक्षा उत्थान प्रक्रियाओं और क्रूज चरण के माध्यम से, अंतरिक्ष यान को सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंज बिंदु 1 (एल1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में स्‍थापित किया जाएगा, जो पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर है।

एल1 बिंदु के चारों ओर प्रभामंडल कक्षा में एक उपग्रह को स्थापित करने का एक बड़ा फायदा यह है कि वह बिना किसी प्रच्छादन/ग्रहण के लगातार सूर्य को देखता रहता है। यह वास्तविक समय में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर इसके प्रभाव को देखने का एक बड़ा लाभ प्रदान करेगा। अंतरिक्ष यान में विद्युत चुम्बकीय और कण तथा चुंबकीय क्षेत्र डिटेक्टरों का उपयोग करके फोटोस्फीयर, क्रोमोस्फीयर और सूर्य की सबसे बाहरी परतों (कोरोना) का निरीक्षण करने के लिए सात पेलोड हैं। विशेष सुविधाजनक बिंदु एल1 का उपयोग करते हुए, चार पेलोड सीधे सूर्य को देखते हैं और शेष तीन पेलोड लैग्रेंज बिंदु एल1 पर कणों और क्षेत्रों का सीटू अध्ययन करते हैं और इस प्रकार ये अंतरग्रहीय माध्यम में सौर गतिशीलता के प्रवर्धी प्रभाव का महत्वपूर्ण वैज्ञानिक अध्ययन प्रदान करते हैं। आदित्य एल1 मिशन से कोरोनल हीटिंग, कोरोनल मास इजेक्शन, प्री-फ्लेयर और फ्लेयर गतिविधियों और उनकी विशेषताओं, अंतरिक्ष मौसम की गतिशीलता, कणों और क्षेत्रों के फैलाव आदि की समस्या को समझने के लिए सबसे अहम जानकारी प्रदान करने की आशा है।