Saturday, May 18, 2024
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सरकार का दायित्व, कर्मचारी की पदोन्नति में जानबूझ कर बाधा उत्पन्न नहीं करें: हाई कोर्ट

जोधपुर (हि.स.)। राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अरुण मोंगा ने अपने एक निर्णय में स्पष्ट किया है कि सरकार का यह दायित्व है कि वह कर्मचारी की पद्दोनति में जानबूझकर बाधा उत्पन्न नहीं करें। उन्होंने दो रिट याचिका मंजूर करते हुए राज्य सरकार और राजस्थान चिकित्सा शिक्षा समिति को निर्देश दिए कि भूतलक्षी प्रभाव से पद्दोनति रिक्तियां घोषित कर याची डॉक्टरों को पूर्व तिथि से पद्दोन्नति, वरिष्ठता और सैद्धांतिक वेतनमान लाभ प्रदान करें।

डॉ. रीना जैन, डॉ. अभिनव पुरोहित और अन्य तीन डॉक्टर ने डिमॉन्स्ट्रेटर से सहायक प्रोफेसर तथा डा गौरव कटारिया और अन्य छह सहायक प्रोफेसर ने सह प्रोफेसर पद पर पद्दोन्नति की रिक्तियां घोषित नहीं किए जाने को चुनौती देते हुए रिट याचिका दायर की थी। उनकी ओर से बहस करते हुए अधिवक्ता अनिल भंडारी, समीर श्रीमाली और दिनेश चौधरी ने कहा कि राज्य सरकार ने वर्ष 2017 में चिकित्सा समिति का गठन करते हुए राज्य में आठ जगह जिला अस्पतालों को मेडिकल कॉलेज में परिवर्तित किया और नियमों में 50 फीसदी पद पद्दोनति से भरे जाने का प्रावधान होने के बावजूद लगातार आठ बार विज्ञापन जारी कर सीधी भर्ती से ही पद यह कहते हुए भरे जा रहे है कि इन पदों पर पद्दोन्नति के वास्ते कोई पात्र ही नहीं है।

प्रार्थी की ओर से बहस करते हुए अधिवक्ता भंडारी और श्रीमाली ने कहा कि भर्ती नियम के खंड 24 के तहत एक साल की सेवा के बाद डिमॉन्स्ट्रेटर पद्दोन्नति के वास्ते पात्रता रखते है, लेकिन प्रतिपक्ष यह कहकर पद्दोन्नति की रिक्तियां घोषित नहीं कर रहा है कि खंड 25 के तहत चार साल की सेवा पूर्ण नहीं होने से वे एश्योर्ड करियर प्रोग्रेशन (एसीपी) के तहत पद्दोनति के पात्र नहीं है। उन्होंने कहा कि अंतरिम प्रार्थना पत्र के आदेश दिनांक 7 सितम्बर 2021 में एकल पीठ के अन्य न्यायाधीश ने इन्हें पद्दोनत्ति का पात्र नहीं मान कर सही नहीं किया है।

उन्होंने कहा कि जब वे एसीपी की ही पात्रता नहीं रखते है तो उन्हें खंड 24 के तहत पात्र होने से पद्दोनति से वंचित नहीं किया जा सकता है और पदोन्नति रिक्तियां घोषित नहीं कर उनके साथ भेदभाव पूर्ण व्यवहार किया जा रहा है।

न्यायाधीश अरुण मोंगा ने दोनों रिट याचिका मंजूर करते हुए कहा विभाग ने चार साल की सेवा नहीं होने से जब उन्हें एसीपी के तहत पद्दोन्नत किए जाने का पात्र ही नहीं माना है तो खंड 25 उनके लागू ही नहीं होता है और विभाग ने एक तरफा रास्ता अख्तियार कर उन्हें खंड 24 से भी बाहर कर अनुचित किया है। उन्होंने कहा कि सभी डॉक्टर्स की सेवा तीन साल से अधिक पूर्ण हो चुकी है सो वे खंड 24 के तहत पद्दोनति के पात्र हैं।

उन्होंने राज्य चिकित्सा शिक्षा समिति को निर्देश दिए कि रिट याचिका दायर करने के वर्ष 2021 से ही पद्दोनति रिक्तियां घोषित कर भूतलक्षि प्रभाव से जिस दिन से सीधी भर्तियां की गई है,उसी दिन से पद्दोनति के लाभ,सीधी भर्ती से नियुक्त डॉक्टर से ऊपर की वरीयता और वरिष्ठता और सैद्धांतिक वेतनमान लाभ प्रदान करें।

उन्होंने कहा कि यह आश्चर्यजनक है कि आठ बार की रिक्तियों में एक भी पद्दोनति की वेकेंसी घोषित नहीं की गई। उन्होंने कहा कि सरकार का दायित्व है कि कर्मचारियों के पद्दोनति के मार्ग में बाधा उत्पन्न नहीं करें क्योंकि पद्दोनति नौकरी का एक आवश्यक घटनाक्रम है और इससे कर्मचारी अपने काम के प्रति प्रोत्साहित रहता है और विभाग में स्वस्थ वातावरण बना रहता है।

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