Monday, May 6, 2024
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राष्ट्र और धर्म हित में मतभेदों को भुलाकर एकता का संदेश देना ही भारतीय परंपरा: शंकराचार्य विजयेंद्र सरस्वती

अयोध्या (हि.स.)। कांची कामकोटि पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी विजयेंद्र सरस्वती महाराज ने रविवार को यहां कहा कि राष्ट्र हित, धर्म हित और विश्व के कल्याणार्थ जब भी कोई पहल होती है, तो आपसी सभी मतभेदों को भुलाकर एकता का संदेश देना ही भारतीय संस्कृति और परंपरा है।

श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा से एक दिन पहले जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी विजयेंद्र सरस्वती जी महाराज आज राम नगरी अयोध्या पहुंचे और यह संदेश दिया। उन्होंने कहा कि दशाववतार में मुख्य अवतार श्रीराम जी का श्रीराम जन्मभूमि क्षेत्र में सोमवार को बाल राम विग्रह प्राण प्रतिष्ठा होना है। इस संदर्भ में उतरायण में पौष मास शुक्ल पक्ष द्वादश तिथि मृगशीर्स नशत्र में होना है। यह प्राण प्रतिष्ठा जगकल्याणकारी के लिए है। शंकराचार्य ने कहा कि प्रभु श्रीराम की कृपा भारतवासियों और विश्वभर में फैले सभी श्रद्धालुओं को मिले, ऐसी कामना करता हूं।

शंकराचार्य के सचिव गजानंद कांड़े ने बताया कि जगद्गुरु ने कहा कि हमारे देश में जब-जब राष्ट्र हित की दिशा में कोई पहल हुई है तब-तब लोग आपसी मतभेद भुलाकर एक साथ आगे आये हैं। यही हमारी संस्कृति है। इसी तरह धर्म हित की पहल होने पर भी मतभेदों को भुलाकर एकता का संदेश देना भारत की गौरवशाली परंपरा रही है।

गजानंद कांड़े के अनुसार जगद्गुरु शंकराचार्य ने यह भी कहा कि विश्व कल्याण के लिये पहल होने पर भी भारत का प्रत्येक नागरिक आपसी मतभेद भुलाकर दुनिया को एकता का संदेश देता है। उन्होंने आगे कहा कि हमारे देश में राष्ट्र अथवा धर्म हित की हर पहल में विश्व का हित स्वतः निहित रहता है। इसलिये ऐसे विशेष अवसरों पर हमें सामंजस्य बनाकर विश्व को एकता का संदेश देना चाहिये। यही युगधर्म है। उन्होंने आगे कहा कि श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण एक वैश्विक चेतना का आधार बनेगा।

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