Monday, April 28, 2025
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26 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का होगा विलय, केंद्र सरकार ने किया अधिसूचित, 1 मई से होगा प्रभावी

नई दिल्ली (हि.स.)। केंद्र सरकार ने ‘एक राज्य-एक आरआरबी’के सिद्धांत पर 26 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) के विलय को मंजूरी दे दी है, जिसे अधिसूचित भी कर दिया गया है। इस अधिसूचना के बाद एक मई, 2025 से देश के प्रत्‍येक राज्य में एक ही क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक होगा।

वित्‍त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग की ओर से मंगलवार को जारी अधिसूचना के मुताबिक एक मई, 2025 से देश के प्रत्‍येक राज्य में एक ही क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (आरआरबी) मौजूद होगा। क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के एकीकरण का यह चौथा चरण होगा, जिसके पूरा होते ही आरआरबी की मौजूदा संख्या 43 से घटकर 28 रह जाएगी।

देश के 11 राज्यों- आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा एवं राजस्थान में मौजूद क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का एक इकाई के रूप में विलय किया जाएगा। इस तरह सरकार के ‘एक राज्य-एक आरआरबी’ के लक्ष्य को साकार किया जा सकेगा। इन क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के विलय की प्रभावी तिथि 1 मई 2025 तय की गई है।

क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक अधिनियम, 1976 की धारा 23ए(1) के तहत प्रदत्त शक्तियों के अनुरूप ये आरआरबी एक एकल इकाई में एकीकृत हो जाएंगे।अधिसूचना के मुताबिक सभी क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के पास 2,000 करोड़ रुपये की अधिकृत पूंजी होगी। पिछले कुछ समय में विलय के कारण आरआरबी की कार्यकुशलता में सुधार को ध्यान में रखते हुए वित्त मंत्रालय ने हितधारकों के साथ परामर्श के लिए नवंबर, 2024 में एक विलय योजना शुभारंभ किया था।

वित्त मंत्रालय के मुताबिक वर्तमान में 26 राज्यों और 2 केंद्रशासित प्रदेशों में 43 आरआरबी कार्यरत हैं। इस विलय के बाद 26 राज्यों और 2 केंद्रशासित प्रदेशों में 28 आरआरबी होंगे, जिनकी 700 जिलों में 22000 से अधिक शाखाएं होंगी। इनका संचालन का मुख्य ग्रामीण क्षेत्र है, जिसमें लगभग 92 फीसदी शाखाएं ग्रामीण यानी अर्ध शहरी क्षेत्रों में हैं।

विलय का यह चौथा चरण है। पहले चरण में आरआरबी की संख्या 196 से घटाकर 82 कर दी गई थी। दूसरे चरण में आरआरबी की संख्या 82 से घटाकर 56 कर दी गई थी, जबकि तीसरे चरण में आरआरबी की संख्या 56 से घटाकर 43 कर दी गई थी। उल्‍लेखनीय है कि क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का गठन आरआरबी अधिनियम, 1976 के तहत किया गया था। इनके गठन का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे किसानों, कृषि मजदूरों और कारीगरों को ऋण और अन्य सुविधाएं प्रदान करना था।

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