आषाढ़ गुप्त नवरात्रि में माँ दुर्गा करती हैं सभी मनोरथ पूर्ण: जानें घटस्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

सनातन धर्म में वर्ष में 4 नवरात्रि होती हैं, चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि के अलावा माघ और आषाढ़ मास में भी नवरात्रि आती है। माघ और आषाढ़ मास की नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से आरंभ होती है। इस वर्ष 11 जुलाई से आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि का आरंभ हो रहा है। गुप्त नवरात्रि में माँ दुर्गा की आराधना करने से सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं और सभी समस्‍याओं से छुटकारा मिलता है।

चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि में तांत्रिक और सात्विक दोनों शक्तियों की पूजा-आराधना की जाती है। परन्तु ऐसी मान्यता है कि तांत्रिक सिद्धियों को प्राप्त करने के लिए भक्त गुप्त नवरात्रि में विधि-विधान से माँ दुर्गा की आराधना करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गुप्त नवरात्रि को तंत्र-मंत्र को सिद्ध करने वाली नवरात्रि माना जाता है। गुप्त नवरात्रि में तांत्रिक महाविद्याओं को भी सिद्ध करने के लिए माँ दुर्गा की पूजा की जाती है।

सनातन धर्म के अनुसार चैत्र और शारदीय नवरात्रि में माँ दुर्गा के 9 स्वरूपों की विधिवत पूजा अर्चना की जाती है, जबकि गुप्त नवराति में दुर्गा माता के 10 स्वरूपों की पूजा की जाती है। गुप्त नवरात्रि में माँ काली, माँ तारा देवी, माँ त्रिपुर सुंदरी, माँ भुवनेश्वरी, माँ छिन्नमस्ता, माँ त्रिपुर भैरवी, माँ धूमावती, माँ बगलामुखी, माँ मातंगी और माँ कमला देवी की पूजा-आराधना की जाती है। गुप्त नवरात्रि में अपनी पूजा के बारे में किसी को न बताएं। ऐसा करने से आपकी पूजा और ज्यादा सफल होगी। 

घट स्थापना का शुभ मुहूर्त
आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि के लिए घटस्थापना 11 जुलाई दिन रविवार को की जाएगी। घटस्थापना के लिए सुबह 5:31 बजे से सुबह 7:47 बजे तक का समय शुभ है। इस वर्ष घटस्थापना की कुल अवधि 2 घंटे 16 मिनट की है। वहीं प्रतिपदा तिथि 10 जुलाई को सुबह 6:46 बजे से शुरू होगी, जो कि 11 जुलाई की सुबह 7:47 बजे तक रहेगी। घटस्थापना का अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:59 बजे से दोपहर 12:54 बजे तक है।

पूजन सामग्री
माँ दुर्गा की प्रतिमा या चित्र, सिंदूर, केसर, कपूर, जौ, धूप,वस्त्र, दर्पण, कंघी, कंगन-चूड़ी, सुगंधित तेल, बंदनवार आम के पत्तों का, लाल पुष्प, दूर्वा, मेंहदी, बिंदी, सुपारी साबुत, हल्दी की गांठ और पिसी हुई हल्दी, पटरा, आसन, चौकी, रोली, मौली, पुष्पहार, बेलपत्र, कमलगट्टा, जौ, दीपक, दीपबत्ती, नैवेद्य, मधु, शक्कर, पंचमेवा, जायफल, जावित्री, नारियल, आसन, रेत, मिट्टी, पान, लौंग, इलायची, कलश मिट्टी या पीतल का, हवन सामग्री, पूजन के लिए थाली, श्वेत वस्त्र, दूध, दही, ऋतुफल, सफेद और पीली सरसों, गंगाजल आदि।

पूजा विधि
गुप्त नवरात्रि शुरू होने के दिन शुभ मुहूर्त में घट स्थापना करके पूजा शुरू की जाती है। माँ दुर्गा की प्रतिमा या चित्र रखकर इनकी पूजा की जाती है। माँ को लाल रंग का सिंदूर और सुनहरे गोटे वाली चुनरी अर्पित की जाती है। इसके बाद माँ के चरणों में पानी वाला नारियल, केले, सेब, खील, बताशे और श्रृंगार का सामान अर्पित किया जाता है। माँ दुर्गा को लाल पुष्प चढ़ाना शुभ माना जाता है। सरसों के तेल से दीपक जलाकर ‘ॐ दुं दुर्गायै नमः’ मंत्र का जाप करना चाहिए। अंतिम दिन हवन आदि करके पूजा सम्पन्न करें।