नई दिल्ली (हि.स.)। केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने आज कहा कि ग्लोबल साउथ जलवायु एजेंडे को आगे बढ़ा रहा है और दुनिया अब भारत को एक नेता के रूप में देख रही है। अकेले 2020 में भारत ने अपने जीएचजी उत्सर्जन में 7.93 % की कटौती की है, जो जलवायु कार्रवाई के प्रति उसकी प्रतिबद्धता का प्रमाण है। भूपेंद्र यादव विश्व सतत विकास शिखर सम्मेलन 2025 के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित कर रहे थे।
शिखर सम्मेलन का आयोजन ऊर्जा एवं संसाधन संस्थान (टेरी) द्वारा किया गया था, जिसका विषय “सतत विकास और जलवायु समाधान में तेजी लाने के लिए साझेदारी” था। इस अवसर पर गुयाना के प्रधानमंत्री ब्रिगेडियर मार्क फिलिप और ब्राजील की पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री सुश्री मरीना सिल्वा उपस्थित थीं।
केंद्रीय मंत्री यादव ने जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में ग्लोबल साउथ की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग, महत्वाकांक्षा और कार्रवाई बढ़ाने का आह्वान किया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में वैश्विक स्थिरता के लिए भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए), आपदा रोधी अवसंरचना के लिए गठबंधन (सीडीआरआई) और पर्यावरण के लिए मिशन लाइफस्टाइल (एलआईएफई) सहित परिवर्तनकारी वैश्विक पहलों का नेतृत्व किया है।
केंद्रीय मंत्री ने प्रजातिवाद के मुद्दे का सामना करने की आवश्यकता दोहराई, जो नस्लवाद की तरह अन्य प्रजातियों और पारिस्थितिकी तंत्रों के कल्याण पर मानव हितों को प्राथमिकता देता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सच्ची स्थिरता तभी प्राप्त की जा सकती है जब सभी प्रकार के जीवन को समान रूप से महत्वपूर्ण माना जाए और जब पर्यावरण नीतियों में वन्यजीवों और जैव विविधता की सुरक्षा और बहाली को ध्यान में रखा जाए।
यादव ने जलवायु परिवर्तन के खिलाफ़ वैश्विक नेतृत्वकर्ता के रूप में भारत की भूमिका का अवलोकन किया, जो यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि जलवायु कार्रवाई समावेशी, महत्वाकांक्षी और सहयोगात्मक बनी रहे। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का सामना करने के साथ-साथ सतत विकास प्रथाओं में निहित समाधान प्रदान करने के लिए भारत सहित वैश्विक दक्षिण, जलवायु चर्चा को आकार देने में आवश्यक है। उन्होंने विकसित देशों से अपनी वित्तीय और तकनीकी प्रतिबद्धताओं का सम्मान करने का आह्वान किया, विशेष रूप से पेरिस समझौते के तहत अपने दायित्वों को पूरा करने में। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) को मजबूत करने में अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे जलवायु कार्रवाई की चुनौतियों और अवसरों दोनों को संबोधित करें।
केंद्रीय मंत्री ने 2047 तक विकसित भारत बनने के भारत के दीर्घकालिक दृष्टिकोण को रेखांकित किया, जिसमें 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने का लक्ष्य है। उन्होंने भारत की प्रगति पर प्रकाश डाला, जिसमें 2005 से 2020 के बीच सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता में 36% की कमी, जबकि 2030 के लिए 45% का लक्ष्य है, और 2025 के केंद्रीय बजट में ऊर्जा सुरक्षा, स्वच्छ ऊर्जा क्षमता का विस्तार और हरित प्रौद्योगिकियों के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है।