मन तू धैर्य मत खो,
ये लम्हा भी गुजर जाएगा,
हैरानी लाजमी है तेरी,
पर वक्त कल सुधर जाएगा
आज का घोर अंधेरी रात,
कल एक सबेरे में बदल जाएगा,
थमी हुई पवन फिर बहेगी पुरजोर,
लड़खड़ाता हुआ पल संभल जाएगा
चहचहाएगी चिड़िया फिर डालियों पर,
किसान अपनी खेतों पर नजर आएगा,
ये हमारा है आपदाओं का घर तो नहीं,
फिर वही सुबह और शाम नजर आएगा
-जयलाल कलेत
रायगढ़, छत्तीसगढ़