कभी वो दिन भी थे, जब दुगलई गांव के लोगों को अपनी ही ग्राम पंचायत बिठली तक जाने के लिये एक लंबी यात्रा करनी पड़ती थी। या तो 5.50 कोस पैदल चलना या बालाघाट की ओर से 80 किमी की यात्रा कर बिठली पहुंचना उनकी बड़ी मजबूरी थी। क्योंकि तीसरा कोई विकल्प था ही नहीं। दौर बदला, विकास की बात हुई, तो एक सड़क बन गई, जो आगे चलकर छत्तीसगढ़ राज्य के सीमावर्ती गांवों से जुड़ जाती है। यही सड़क यहां के लोगों के लिये विकास की नई सड़क बन गई है। सड़क के बनने से दुगलई के लोगों को पैदल चलने की भारी परेशानी और दुर्दिनों से भी हमेशा के लिये मुक्ति मिल गई है। इस सड़क से मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ दो राज्यों के लोग मिलजुलकर अपनी देशज संस्कृति साझा कर रहे हैं।
बालाघाट जिले की लांजी विधानसभा क्षेत्र का एक छोटा सा गांव है दुगलई। यह बिठली ग्राम पंचायत का पोषक ग्राम है। दुर्गम जंगल और पहाड़ी के बीच बसे दुगलई गांव तक पहुंचने के लिये पगडंडियों से होकर जाना पड़ता था। सालों यही चलता रहा। मध्यप्रदेश ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण (एमपीआरआरडीए) ने बड़ी मेहनत और सूझ-बूझ से 16 किमी लंबी सड़क बनाकर इस क्षेत्र के विकास की नई इबारत लिख दी है। बैहर विधानसभा क्षेत्र के हर्रानाला से शुरू होकर पहाड़, घाट और घने जंगल के बीच से होकर यह सड़क लांजी विधानसभा क्षेत्र के दुगलई गांव को जोडती है। इस एक सड़क से तीन तहसील बैहर, किरनापुर और लांजी के दुर्गम गांवों को सीधी कनेक्टिविटी मिल गई है।
20 ग्रामों को मिला सीधा सम्पर्क
ग्राम बिठली, हर्रानाला, लूद, सारद, पाथरी, आमानाला, बमनी, कोंगेवानी, हर्राटोला, मंडवा, माड़ी, डोंगरिया, लातरी, कुर्रेझोडी, जालदा, लिमोटी, नवही, हिर्री, भिररी और नारंगी गांवो के लोगों सीधा संपर्क इसी सड़क से होने लगा है। करीब 11 करोड़ रूपये की लागत से बनी 16 किमी लंबी सड़क से ग्रामीणों का आवागमन सुगम हुआ है।।
सड़क के मायने
इस सड़क के बनने से क्षेत्र की आंतरिक सुरक्षा (वामपंथी अतिवाद से निपटने के लिये) और मजबूत हो गई है। क्षेत्र के गांव-गांव हमेशा और हर मौसम में एक-दूसरे से जुड़ गये हैं। क्षेत्र में व्यावसायिक गतिविधियां बढ़ने लगी हैं। इससे कामकाजी लोगों, कारोबारियों, मरीजों और आमजनों को आवागमन की बारहमासी सुविधा मिल गई है। हजारों राशनकार्ड धारियों और सैकडों स्कूली बच्चों के लिये यह सड़क बेहद उपयोगी साबित हो रही है।