आँखों में तुम्हारी जादू है,
दीवाना मुझको बना लिया
मुरझाया था फूल चमन में,
उसको तुमने खिला दिया
मचल उठे हैं भौंरे सब ही,
प्यार की खुशबू पाने को
होंठों पे मुस्कान है काफ़ी,
उनको खूब रिझाने को
चला के अपना तीर दूर से,
मेरे दिल में चुभा दिया
मुरझाया था फूल चमन में,
उसको तुमने खिला दिया
सुन्दरता की सीमाओं को,
तोड़ दिया है तुमने
तन्हाई में रहने का भ्रम,
छोड़ दिया है हमने
कुदरत ने बनाया रूप सलोना,
और दिल में हमने बसा लिया
मुरझाया था फूल चमन में,
उसको तुमने खिला दिया
अनजाने में बन जाते हैं जो,
रिश्ते प्यार के गहरे।
क़ीमत नहीं है कोई उनकी,
बंधन कहीं न ठहरे।
भूल न जाना मेरे प्यार को,
जिसको दिल में छुपा लिया
मुरझाया था फूल चमन में,
उसको तुमने खिला दिया
-राम सेवक वर्मा
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कानपुर देहात, उत्तरप्रदेश