Tuesday, November 26, 2024
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जबलपुर के अशोक सेदा 1960 में बने थे बैडमिंटन के राष्ट्रीय जूनियर चैम्प‍ियन

क्यों सबसे प्राचीन है जबलपुर का खेल इतिहास-9: पंकज स्वामी

(भोपाल में स्पोर्ट्स यूनिवर्स‍िटी के गठन की बात से जबलपुर व महाक‍ोशल के ख‍िलाड़ी, खेल संगठन और खेल प्रेमी उद्वेलित हैं। संभवत: जबलपुर का खेल इतिहास पूरे मध्यप्रदेश में सबसे पुराना है। जबलपुर को एक समय मध्यप्रदेश की खेलधानी का तमगा हासिल था। यहां सभी खेलों के मुख्यालय थे। जबलपुर से ही खेलों की शुरुआत हुई और उनका पूरे मध्यप्रदेश में प्रसार हुआ। जबलपुर के खेल इतिहास सिरीज में आप आठ किश्त पढ़ चुके हैं। यह नौंवी किश्त है। प्रयास होगा कि सभी खेलों का इतिहास यहां प्रस्तुत हो पाए।)

पिछले से जारी………….

बैडमिंटन-जबलपुर में सबसे पहले 1928 में बॉल बैडमिंटन की शुरुआत हुई। इस खेल को शुरु करने वालों में आरके डबीर, जीवी आचार्य, जीएम केकरे, जीजी नावलेकर, प्रो. परांजपे, डा. सूबेदार राजेन्द्र वासुदेव थे। इन लोगों ने मित्र मंडल के नाम से खेलने की शुरुआत महाराष्ट्र एथलेटिक क्लब के खुले मैदान में की। वर्ष 1929 में बैडमिंटन में ‘बॉल’ के स्थान पर ‘शटल’ आ गई। वर्ष 1940 में जीएन निवसरकर जबलपुर के फॉदर ऑफ बैडमिंटन बने। उन्होंने बैडमिंटन को नई दिशा व गति दी। निवसरकर के पुत्र आनंद उस समय बैडमिंटन के सर्वश्रेष्ठ ख‍िलाड़ी थे। 

वर्ष 1952 में जबलपुर ड‍िस्ट्रि‍क्ट बैडमिंटन एसोस‍िएशन की स्थापना हुई और इसकी संस्थापक सचिव श्रीमती पिंटो बनीं। इसके पूर्व 1946 में जबलपुर में खान बहादुर सैय्यद ज़ाकिर अली के संरक्षण में मध्यप्रदेश बैडमिंटन एसोसिएशन गठित हो चुका था। सैय्यद ज़ाकिर अली ने जबलपुर में आठवीं नेशनल व इंटर स्टेट चैम्प‍ियनशि‍प आयोजित करने में सबसे बड़ी भूमिका निभाई। 1949 में महिला वर्ग में मध्यप्रदेश (जबलपुर) की आचार्य व एम. तांबे की जोड़ी ने कलकत्ता में आयोजित नेशनल चैम्प‍ियनश‍िप में डबल्स का ख‍िताब जीता। 

1960 में जबलपुर के अशोक सेदा जूनियर नेशनल चैम्प‍ियन बने। वर्ष 1953 में जबलपुर में सेंट्रल इंडिया बैडमिंटन चैम्प‍ियनशि‍प की शुरुआत हुई। सेंट्रल इंडिया चैम्प‍ियनश‍िप के आयोजन की बदौलत जबलपुर के दर्शकों ने अपने समय के बेहतरीन बैडमिंटन ख‍िलाड़‍ियों को खेलते रूबरू देखा। जबलपुर के दर्शकों ने बैडमिंटन की विश्व के टॉप ख‍िलाड़‍ियों को खेलते देखा उनमें डेनमार्क के एरलेंड कोप्स, आठ बार के विश्व चैम्प‍ियन इंडोनेश‍िया के रूडी हार्टोनो, डेनमार्क के फिन कोबेरो, इलो हैनसेन व जॉन हैनसेन और थाईलैंड व ब्रि‍ट‍िश ख‍िलाड़ी प्रमुख थे।

जबलपुर के श्रीराम (एसआर) चड्डा ने विश्व के जाने माने खेल प्रशासक के रूप में अपनी एक व‍िश‍िष्ट  पहचान बनाई। श्रीराम चड्डा स्वयं एक बैडमिंटन के उत्कृष्ट ख‍िलाड़ी थे। जबलपुर के श्रीराम चड्डा को देश, प्रदेश व जबलपुर में बैडमिंटन का पर्याय माना जाता था। उनकी पहचान भारतीय और एशियाई बैडमिंटन में एक प्रमुख खिलाड़ी, कप्तान, कोच, मैनेजर और प्रमुख एडमिनिस्ट्रेटर के रूप में रही है। उन्होंने वर्ष 1960 में थामस कप में भारतीय टीम का नेतृत्व किया था। बाद में वे टीम के कोच व मैनेजर भी बने। उन्हें भारतीय बैडमिंटन की रीढ़ की हड्डी माना जाता था। श्रीराम चड्डा भारतीय बैडमिंटन संघ, एश‍ियन बैडमिंटन कंफेडेरशन और इंटरनेशनल बैडमिंटन फेडरेशन में मानद सचिव, उपाध्यक्ष व अध्यक्ष जैसे पद पर रहे। श्रीराम चड्डा जबलपुर में  से आठवें दशक तक जबलपुर में सेंट्रल इंडिया बैडमिंटन प्रतियोगिता आयोजित करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

(अगले भाग में बैडमिंटन के साथ कबड्डी के बारे में पढ़ें)………….जारी रहेगा

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