Monday, November 25, 2024
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कार्यस्थल पर 80 प्रतिशत कर्मी तनाव में, बढ़ रही मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं

वाराणसी (हि.स.)। प्रतिस्पर्धा व भागमभाग की जिदंगी ने मनुष्य की जीवन शैली को ही बदल दिया है। यही कारण है कि आज हर तीसरा व्यक्ति मानसिक तनाव से जूझ रहा है। देश दुनिया में 60 फीसदी आबादी कार्य करती है। इसमें 80 फीसदी लोग काम के दौरान तनाव महसूस करते हैं। महिलाओं में काम से संबंधित तनाव का अनुभव करने की दर पुरुषों की तुलना में 25 फीसदी अधिक है। आईएमएस, बीएचयू के एआरटी सेंटर, एसएस हॉस्पिटल के वरिष्ठ परामर्शदाता डॉ. मनोज कुमार तिवारी बताते है कि वैश्विक स्तर पर अवसाद व चिंता के कारण प्रतिवर्ष 12 बिलियन कार्य दिवस नष्ट हो जाता हैं, जिससे उत्पादकता में प्रति वर्ष 1 ट्रिलियन डॉलर की हानि होती है।

उन्होंने बताया कि कार्यस्थल पर तनाव का कारण क्षमता से अधिक कार्यभार, लंबे समय तक काम करना, नौकरी की असुरक्षा, सहकर्मियों एवं अधिकारी के साथ मतभेद, छोटा समय सीमा, निर्णय लेने में कर्मचारियों की भागीदारी की कमी,खराब संचार, असुविधाजनक कार्य वातावरण, खराब व्यवहार आदि है। उन्होंने बताया कि तनाव के शारीरिक लक्षणों में सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, नींद की समस्या, कब्ज़ की शिकायत, भूख की कमी, दिल की बीमारी, उच्च रक्तचाप, मधुमेह आदि है।

डॉ तिवारी बताते है कि तनाव के भावनात्मक लक्षणों में चिंता, अवसाद, गुस्सा, चिड़चिड़ापन, थकान, निराशा, आत्मसम्मान की कमी आदि है। कर्मचारियों में तनाव से कंपनी अथवा संगठन को भी हानि होती हैं। इससे दुर्घटनाओं में वृद्धि, अनुपस्थिति दर में वृद्धि, स्टाफ टर्नओवर दर में वृद्धि, कर्मचारियों में प्रेरणा कमी, कार्य संतुष्टि में कमी, काम के प्रतिबद्धता में कमी, नकारात्मक ब्रांड प्रतिष्ठा, भर्ती प्रक्रियाओं में पेशेवरों की कम रुचि, उत्पादकता में कमी, लाभ में गिरावट आदि है।

कैसे करें तनाव प्रबंधन

वरिष्ठ परामर्शदाता डॉ मनोज तिवारी बताते है कि तनाव को पूरी तरह से खत्म करना तो असंभव है। इसके अनगिनत कारक हैं, लेकिन तनाव प्रबंधन से इससे होने वाले नकारात्मक प्रभावों को कम से कम किया जा सकता है। कार्यस्थल पर तनाव को कम करने के लिए स्वस्थ कार्य शैली बनाए रखना महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि कार्यस्थल पर तनाव के कारणों में अत्यधिक कार्यभार व समय सीमा से बधे होने की भावना है। प्रभावी समय प्रबंधन इस दबाव को काफी हद तक कम कर सकता है ।

उन्होंने बताया कि कार्यों को उनकी प्राथमिकता एवं महत्व के अनुसार सूचीबद्ध करें। महत्वपूर्ण एवं प्राथमिकता वाले कार्यों को पहले निपटाएँ और सूची के अन्य कार्यों को भी समय सीमा के अंदर समाप्त करने का प्रयास करें। अलग-अलग कामों के लिए खास समय तथा उसकी सीमा तय करने के लिए एक दैनिक या साप्ताहिक अनुसूची बनाएं। जितना हो सके अपने अनुसूची का पालन करें। एक बात खासतौर पर ध्यान रखें की कोई भी व्यक्ति अपने अनुसूची (शेड्यूल) का 100 फीसदी पालन नहीं कर पाता है। अतः इसको लेकर तनाव न लें।

उन्होंने बताया कि कार्य प्रबंधन के लिए डिज़ाइन किए गए डिजिटल टूल और ऐप का उपयोग करें, जैसे कैलेंडर, टू-डू सूची और प्रोजेक्ट प्रबंधन सॉफ़्टवेयर आदि। कार्यों को छोटे-छोटे चरणों में बाँटें। एक भाग को सफलतापूर्वक पूर्ण कर लेने पर व्यक्ति का आत्मविश्वास एवं साहस बढ़ता है। जिससे वह आगे के कार्यों का आसानी से पूर्ण करने में सक्षम होता है तथा तनाव से बचा रहता है। एक समय पर एक ही काम पर ध्यान केंद्रित करें। मल्टीटास्किंग से उत्पादकता में कमी व तनाव में वृद्धि होती है। क्योंकि इससे न केवल व्यक्ति दबाव महसूस करता है बल्कि उससे त्रुटि होने की संभावना भी अधिक होती है।

अपने काम के घंटे स्पष्ट रूप से निर्धारित करें और उनका पालन करें। इन घंटों के बारे में अपने सहकर्मियों और वरिष्ठों को बताएं। कार्य दिवस के दौरान खास तौर पर छोटे-छोटे विश्राम लें ताकि आप ऊर्जा प्राप्त कर सकें। अपने कार्य स्थल से थोड़ी देर के लिए दूर जाने से ध्यान केंद्रित करने में सुधार होता है और तनाव कम होता है। काम के घंटे खत्म होने के बाद काम से जुड़े ईमेल या मैसेज चेक करने से बचें। खुद को आराम करने और तनावमुक्त रखने का प्रयास करें। उन्होंने बताया कि नियमित व्यायाम तनाव को कम करता है व मनोदशा को बेहतर बनाता है। अपनी दिनचर्या में शारीरिक गतिविधि को शामिल करें। काम के अलावा अपनी पसंदीदा गतिविधियों में शामिल हों जिनमें आपको आनंद आता हो।

कार्यस्थल पर तनाव से निपटने के लिए ध्यान, गहरी सांस ले, कार्यस्थल पर माइंडफ़ुलनेस, कार्य के बीच कुछ मिनट आराम, चहलकदमी, पसंदीदा भोजन करने, पसंदीदा संगीत सुनने जैसी छोटी-छोटी क्रियाकलापों के माध्यम से कार्य स्थल पर तनाव को कम किया जा सकता है।

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