कोरोना की करामात से, हो गई दुनिया तंग
समझ न आवै आज किसी को, लड़ैं ये कैसे जंग
सोशल डिस्टेंस बनाकर सब ही, अब तौ काम चलावत
बनै कहत न गुजरी अपनी, जब भूखे पेट सुलावत
खोल सकैं न मुंह को अपने, अब डंडा पुलिस डुलावत
कहि ‘सेवक’ कछु काम न आवै, बुद्धि विवेक सब हारे
फिर गये दिमाग सबै के समझौ, सोवत नाहिं भय के मारे
-राम सेवक वर्मा
विवेकानंद नगर, पुखरायां,
कानपुर देहात, उत्तरप्रदेश