नंदिता तनुजा
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मेरी रंजिशों से बनती नहीं..
साज़िशों से मेरी
हाय तौबा..!
ग़ज़ब दुनिया के
अजब तमाशे..
दिल के हाल को
समझ के ज़रा अपनी
अब यूँ भी किसी से कुछ कहती नहीं…
अजीब शख्सियत के
यहाँ लोग अपनी निभाते..
आए जब बारी तुम्हारी..
तुम ग़ैर हो, बस ग़ैर..
इस गौरतलब फ़रमान का
पल में जुलूस है निकालते…
किनारे से चलिए..
बच के निकलिए..
ज़िंदगी का है सफ़र…
ज़रा लोगों की भीड़ में संभलिएगा…
बड़ी मासूम तमन्नाएं
दर्द से ये कभी डरते नहीं..
थोड़ी सी ठन जाती है
मुश्किलों से अपनी….
किसी को गिराकर भी
कुछ हासिल करते नहीं..
मेरी रुह का सफ़र..
कभी आसान होगी नहीं…
क्योंकि सच कहती हूँ…
कि नंदिता की रंजिशों और साज़िशों से
बिल्कुल बनती ही नहीं…!