भोपाल (हि.स.)। परम्परा के मुताबिक देश में सबसे पहले होली का पर्व मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित विश्व प्रसिद्ध ज्योर्तिलंग भगवान महाकाल मंदिर में मनाया गया। गुरुवार की शाम संध्या आरती के दौरान भगवान महाकाल को गुलाल अर्पित कर होली खेली गई। इसके बाद ओकांरेश्वर मंदिर के बाहर होलिका दहन किया गया।
दरअसल, देश में सभी पर्व-त्यौहार सबसे पहले महाकालेश्वर मंदिर में मनाए जाते हैं। वर्षों से यहां यह परम्परा निभाई जा रही है। महाकालेश्वर मंदिर में गुरुवार की शाम संध्या आरती के दौरान इस बार सिर्फ एक किलो हर्बल गुलाल भगवान महाकाल को अर्पित किया गया। आरती के दौरान आईजी उमेश जोगा, कलेक्टर नीरज सिंह और प्रशासक प्रथम कौशिक मौजूद रहे। संध्या आरती के बाद ओकांरेश्वर मंदिर के बाहर होलिका दहन किया गया। इसके लिए कंडों से होलिका बनाई गई थी। इस बार श्रद्धालुओं को होलिका दहन स्थल के आगे जाने की अनुमति नहीं दी गई थी।
श्री महाकालेश्वर मंदिर में भगवान महाकाल के आंगन में सबसे पहले होली पर्व मनाने की परंपरा है। श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी महेश शर्मा ने बताया कि ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर में पारंपरिक रूप से सबसे पहले होली मनाई गई। महाकालेश्वर की संध्या आरती में पुजारियों ने सांकेतिक रूप से गुलाल अर्पित किया।
पुराणों के असुर राज हिरण्यकाश्यपु के कहने पर उनकी बहन होलिका भगवान नारायण के अनन्य भक्त प्रह्लाद को अपनी गोद में बैठाकर अग्नि में बैठ गई थी, जिसके बाद भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद अग्नि से सुरक्षित रहे। होलिका जलकर भस्म हो गई। जिसके बाद से हर साल बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक स्वरूप में होलिका दहन किया जाता है। धर्म ग्रंथों में यह माना जाता है कि होलिका दहन के दौरान वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इसे नष्ट करने के लिए कुछ समय तक किसी धार्मिक या शुभ स्थान पर रहना चाहिए। इस समय घर जाना नकारात्मक प्रभावों को घर में लेकर आ सकता है। साथ ही, यह घर के सदस्यों के लिए शुभ नहीं माना जाता।
महाकाल मंदिर में होलिका दहन होने के बाद प्रदेशभर में यह सिलसिला शुरू हो गया, जो देर रात चलेगा। इंदौर के राजवाड़ा में सरकारी होलिका दहन किया गया। राजधानी भोपाल में जगह-जगह होलिका दहन हो रहा है। बुरहानपुर के राजपुरा में 3100 कंडों से होलिका दहन किया गया। इस दौरान पहली बार 21 जोड़ों के साथ सामूहिक आरती हुई। यहां भक्त प्रहलाद और होलिका की झांकी आकर्षण का केंद्र रही। खंडवा सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल भी कार्यक्रम में शामिल हुए।
छिंदवाड़ा में दिन भर होली की तैयारियों के बाद शाम को होलिका पूजन किया गया। इसके बाद लोगों ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ होलिका दहन किया। गुलाबरा, विवेकानंद कॉलोनी, स्टेडियम कॉम्पलेक्स, बरारीपुरा, सिविल लाइंस, शक्ति नगर, लालबाग, श्रीवास्तव कॉलोनी सहित अन्य जगहों पर होलिका दहन किया गया। इसके बाद लोगों ने एक-दूसरे को रंग गुलाल लगाकर होली की बधाईयां दी।
नर्मदापुरम के सेठानी घाट पर कंडे की होली जलाई गई। इससे पहले मां नर्मदा की महाआरती हुई। फूल, गुलाल की होली खेली गई। लोगों ने एक-दूसरे पर फूल, गुलाल डालकर होली खेली। खंडवा के नगर निगम तिराहे पर नशे की होली जलाई गई। सामाजिक संस्था जेसीआई का कहना है कि नशे से कई जिंदगियां खराब हो रही हैं। इसीलिए नशे के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं। पिछले 25 साल से जेसीआई नशीले पदार्थों की होली का दहन कर नशा मुक्ति का संकल्प दिला रहा है।
खंडवा में होली के अवसर पर भगवान ओंकारेश्वर के ज्योतिर्लिंग को शयन आरती में चंदन का लेप लगाया गया। सीहोर में पंडित प्रदीप मिश्रा के कुबेरेश्वर धाम में होलिका दहन किया गया। खरगोन में बीसा नीमा महाजन समाज ने राधाकुंज मांगलिक परिसर में 5000 से अधिक गोबर के कंडों से होलिका जलाई। समाज ने सामूहिक होलिका पूजन का आयोजन किया, जिसमें 4000 से ज्यादा लोग शामिल हुए। समाज के अध्यक्ष वृंदावन महाजन ने बताया कि सामूहिक होलिका पूजन के बाद रात 8:30 बजे होलिका दहन किया गया। इसके बाद मिलन समारोह का आयोजन किया गया। टीकमगढ़ शहर के प्राचीन नजरबाग मंदिर में रात 9.10 बजे सामूहिक होलिका दहन हुआ। लोगों ने एक-दूसरे को गुलाल लगाकर होली की शुभकामनाएं दीं। होलिका की परिक्रमा लगाकर पूजा-अर्चना की।
ग्वालियर में गुरुवार रात को होलिका दहन के साथ रंगों के त्योहार होली की शुरुआत हो गई है। शहर में रात 8.30 बजे सनातन धर्म मंदिर में होलिका दहन हुआ। इसके बाद सड़कों पर रंग गुलाल उड़ने लगा है। शहर की सबसे बड़ी होली सराफा बाजार की होती है। इस बार भी यहां 25 हजार कंडों से लगभग 15 फीट ऊंची होलिका बनाई गई है। रात 11.32 बजे शुभ मुहूर्त में सराफा बाजार में होलिका दहन किया जाएगा। शहर में 950 स्थानों पर होलिका दहन हो रहा है। जिसमें सराफा बाजार के अलावा अचलेश्वर महादेव मंदिर, सनातन धर्म मंदिर, मोटे गणेश मंदिर, महलगांव करौली माता मंदिर सहित शहर के प्रमुख मंदिरों में होलिका दहन होता है। बैतूल में भारत के पांचवें धाम श्री रुक्मिणी बालाजी मंदिर बालाजीपुरम में गुरुवार शाम को होलिका दहन किया गया। जिसके बाद भक्त प्रहलाद की पूजा अर्चना कर रंग गुलाल लगाया गया।