सुजाता प्रसाद
शिक्षिका, सनराइज एकेडमी,
लेखिका, मोटिवेशनल ओरेटर,
नई दिल्ली, भारत
मेरा आत्मविश्वास प्रेम में मेरे
साथ मेरे चलता ही रहता है
दोस्त सा पकड़ के हाथ मेरा
मुझसे कुछ कहता ही रहता है
जीवन को पढ़ता पढ़ाता
क़दम क़दम भय भगाता
राह के कांटे चुन चुन
आत्मीय सा कहता है सुन
मैं तुम्हारे साथ ऐसे हूं
जैसे सूर्य के साथ किरणें
जैसे खेत के साथ फ़सलें
तुम मेरे साथ ऐसे हो
जैसे अक्षर के साथ शब्द
लेखिनी के साथ दैनंदनी
मैं तुम्हारे साथ ऐसे हूं जैसे
यथार्थ के साथ धरातल
धरती के साथ नमी
तुम मेरे साथ ऐसे हो
जैसे पेड़ के साथ पात
अग्नि के साथ ताप
मैं तुम्हारे साथ ऐसे हूं
जैसे सांझ के साथ दीप
प्रेम के साथ प्रीत
तुम मेरे साथ ऐसे हो
जैसे साथ भोर का तारा
जैसे दिन रात हमारा
मेरा आत्मविश्वास प्रेम में मेरे
साथ मेरे चलता ही रहता है
दोस्त सा पकड़ के हाथ मेरा
मुझसे कुछ कहता ही रहता है