कुछ अजनबी भी होते हैं अच्छे,
सोच विचार से लगते हैं सच्चे
सूझबूझ उनकी बढ़िया,
जैसे अनुभव की लड़ियां
गैर होकर भी अपने लगते वो,
स्नेह अपनत्व भाव रखते जो
सही और गलत की परख रखते वो,
गलती होने पर टोक देते जो
मीठे बोल बोलें सबसे वो,
व्यवहार कुशल पहचान रखते जो
अपने वो अपने नहीं होते,
जिनके मन नहीं मिलते
होते हैं वो ही अपने,
जो मन से समझते हैं अपने
अतुल पाठक ‘धैर्य’
हाथरस, उत्तर प्रदेश