हमें खौफ़
नहीं रुसवाई का
हम जिन्दा हैं सच की बदौलत
इक उम्मीद का पौधा लगा जायेंगे
ज़मी पर
अपना नाम कर जायेंगे
सच के हवाले अपनी
शहादत कायम कर जायेंगे
ऐ सितमगरों
लाख बिजली हम पे गिराओ
मुसीबत से अपना बरसों का नाता है
भले ही धूमिल हो गये अरमान हमारे
हम चलते-चलते
रुक क्या गये, तुम झूठ का जश्न मनाने लगे
झूठ की ताकत का तुम्हें इतना भरोसा है
लेकिन सच का मुक़ाम सुनहरा होता है
अब जिद ना करो
मेरे जमीर में झाँकने की
कब का साथ छोड़ दिया हमने तुम्हारा
नहीं चलना तुम्हारे साथ
उन झूठ की मखमली राहों पर
मेरे अलफ़ाज़
तुम्हारी दकियानूसी पे सवाल खड़ा करेंगे
तुम बदलते रहो पैतरों को
हम बेझिझक वार का ज़वाब देते रहेंगे
तरस जाओगे
एक दिन प्यार भरी छुअन को
ये जो तुम्हारे झूठ भरे अलफ़ाज़ हैं ना
एक दिन शूल बनकर चुभेंगे
संभल जाओ,
हर कदम पे सच का पहरा है
अभी सहर होने में वक़्त है
हो सकता है,
ये रात लम्बी है वो रात छोटी हो
प्रार्थना राय
देवरिया, उत्तर प्रदेश