अचानक एक दिन
तुम्हें उसके न रहने की
दुःखद खबर मिलती है
कुछ पल तुम उस खबर से गुत्थमगुत्था होते हो
और ख़बर तुम्हें दबोच लेती है
जाने वाले की स्मृतियों की संदूकची
खुल जाती है तुम्हारे सामने अपने-आप
तुम स्मृति को छूकर महसूस करना चाहते हो
उससे हुई आखिरी मुलाकात
तुम्हारे गले में बाहें डाल कर झूलने लगती है
तुम चाहकर भी
हटा नहीं पाते उसे
परस्पर हँसते बोलते हुए
उसकी दिल छूने वाली कोई बात
देर तक तुम्हें कचोटती है
तुम्हें वह सब याद आता है
जिसे तुम उसके साथ जीना
या करना चाहते थे
लेकिन! जो अब कभी
जीवन में संभव न होगा
तुम खुद को ऐसी गुफ़ा में
घिरा पाते हो
जहाँ से बाहर निकलने का रास्ता
दिखाई नहीं देता
तुम पुकारना चाहते हो
लेकिन! शब्द गले में ही कहीं फँसकर फड़फड़ाते हैं
तुम्हारी आँखों से
गाल पर कुछ लुढ़क कर गिरता है
तुम उसे पोछना चाहते हो
पर हाथ नहीं हिला पाते
जसवीर त्यागी
नई दिल्ली