मेरी सुनो: अमित कुमार मल्ल

ताकत करती है
मुझसे डरा कर 
मैं
दुनिया का नाश कर सकती हूँ

हुस्न कहता है
मेरे नखरे उठाओ
मैं
दुनिया की चाहत हूँ

शब्द कहता है
मुझे पूजो
मैं
तुम्हें अमरता दूंगा 

बुद्धि कहती है
मेरा लोहा मानो
मैंने
राज करने के नियम बनाएं 

समाज कहता है
मेरी हद में रहो
मैं
तुम्हें संरक्षण दूंगा

पैसा कहता है
मुझे बेशुमार जोड़ो
मेरे बिना
दुनिया नहीं चलती

जवानी कहती है
मुझ में डूबो
मैं
तुम्हें सरूर दूंगी

सिस्टम कहता है
मुझसे मिलकर रहो
मैं
प्राणवायु हूँ

दुःख कहता है
मुझसे बचकर रहो
मैं 
हर एक को तोड़ देता हूं

प्यार करता है
मुझे अपनाओ
मैं
हवाओं पर तैराउंगा

करुणा करती है
मुझे रखो
मैं ही
तेरे इंसान होने की निशानी हूँ

दिल कहता है
कभी मेरी भी सुनो
मैं ही
तेरी असली आत्मा हूँ

मैं
साधारण आदमी की तरह
कुछ समझता हूं
कुछ बूझता हूं
कुछ बसाता हूँ
कुछ से बचता हूं
कुछ से जूझता हूँ
कुछ से लड़ता हूं
जिंदगी रहने तक

अमित कुमार मल्ल