सनातन धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। वर्ष में 24 एकादशी आती हैं, जिसमें ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अपरा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना का विधान है।
इस बार अपरा एकादशी रविवार 6 जून को है। मान्यता है कि पालनकर्ता भगवान श्रीहरि विष्णु यह व्रत करने वाले अपने भक्तों के जीवन में आने वाली सभी तरह की समस्याएं दूर कर देते हैं। अपरा एकादशी को जलक्रीड़ा एकादशी, अचला एकादशी और भद्रकाली एकादशी नाम से भी जाना जाता है।
अपरा एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ ही उनके वामन अवतार की पूजा की जाती है। मान्यता है कि भगवान वामन की पूजा से मनुष्य सभी पापों से मुक्त हो जाता है। इस दिन गंगा स्नान का भी विशेष महत्व है।
अपरा एकादशी तिथि प्रारम्भ 5 जून को प्रात: 4:07 बजे होगा तथा एकादशी तिथि समाप्त 6 जून को प्रात: 6:19 बजे होगी। वहीं व्रत का पारण मुहूर्त 7 जून को प्रात: 5:23 बजे से प्रात: 8:10 बजे तक रहेगा।
अपरा एकादशी के दिन व्रती सुबह स्नानादि से निवृत होकर भगवान विष्णु का ध्यान करें। इसके बाद व्रत करने का संकल्प लें। साथ ही भगवान विष्णु से व्रत के सफलतापूर्वक पूरा होने की प्रार्थना करें। इसके बाद भगवान विष्णु और उनके वामन अवतार वाली तस्वीर को गंगाजल से स्नान कराएं।
इसके बाद रोली-अक्षत से तिलक करें और सफेद रंग फूल चढ़ाएं। इसके बाद भगवान श्रीहरि को को फलों का भोग लगाएं। इसके बाद निराश्रितों और ब्राह्मणों को फलों का दान दें। अपरा एकादशी का व्रत करने वाले लोगों को कुछ बातों का विशेष ख्याल रखना चाहिए, उन्हें व्रत के दिन दांत साफ करने के लिए टूथब्रश की जगह दातून का प्रयोग करना चाहिए।
इसके अलावा पान भूले से भी नहीं खाना चाहिए क्योंकि पान खाने से रजोगुण की वृद्धि होती है और अपरा एकादशी त्याग को समर्पित दिन माना जाता है। व्रती को बेड पर नहीं सोना चाहिए। चावल खाने से भी परहेज करना चाहिए। साथ ही किसी के भी प्रति मन में ईर्ष्या-द्वेष नहीं आना चाहिए।