लम्हा ये कहीं थम ना जाए,
पल भर में गुजर ना जाए,
दो पल की मेहमान है ज़िन्दगी,
मुट्ठी से कहीं निकल ना जाए
किराए का घर है ज़िन्दगी,
होना पड़ेगा जुदा इससे,
ऐ खुदा तुझसे मिलने से पहले,
मौत कहीं मिल ना जाए
गिरने से पहले परदा,
भेद कहीं खुल ना जाए,
इकरार होने से पहले उनका,
इनकार कहीं हो ना जाए
नींद खुलने से पहले ही,
निगाहें कहीं झुक ना जाए,
जुड़ने से पहले ऐ खुदा तुझसे,
दिल कहीं टूट ना जाए
पूरी होने से पहले दिल-ए-तवज्जू,
साँसे कहीं थम ना जाए,
मुनासिब ज़िन्दगी की तकलीफें,
खुशियाँ कहीं ज्यादा मिल ना जाए।
बेकार है रिश्ते नाते सब दुनिया के,
खुदा से नाता कहीं छूट ना जाए
तौबा कर ली है हमने जमाने से,
पर जमाने में ही कहीं घुल ना जाए
हेमकंवर
फतेहाबाद, हरियाणा