संध्या कुमारी
लुधियाना, पंजाब
प्यार का दूसरा नाम धोखा है
इसका इल्म उन्ही को है
जिसने इसके रस को चक्खा है
आज प्यार के नये-नये कई नाम है
अश्लीलता ही इसकी पहचान है
आज कल प्यार फेंका हुआ रूमाल है
नयी-नयी प्रेमिका बनाना ही इनका काम है
किसी के दिल को तोड़ना, किसी से फिर लगा लेना,
यही इनकी फितरत और झूठी शान हैं,
आज प्यार का हर रूप ही बेइमान है
आज के प्यार में क्या रखा है
ना जाने कितनो ने कितने को परखा है
प्यार जीवन का दूसरा नाम होता था कभी
प्यार दिलों का एहसास कहलाता था कभी
आज प्रेम का ढाई अक्षर बदनाम है
सच्चा प्यार आज गुमनाम हैं
आज के लोगों ने प्यार को बाजारू
सामान बना रखा है
जैसे ठेले पर बिकता लिट्टी और चोखा है
प्यार का दूसरा नाम धोखा है
इसका इल्म उन्हीं को है
जिसने इसके रस को चक्खा है