चंदा मुझसे पूछ रहा है
रात अभी कितनी है बाकी
मुस्काई शरमा के बोली
बात अभी बहुत है बाकी
मैं भी तनहा तुम भी तनहा
सुख दुख बांटे गगन तले
सरस मनोहर भाव जगायें
रजनी के आँगन में सजे
बहक रहा अंबक का दीपध्वज
तन गमक रहा सम मलयज
रसिका पर सज रही सरगम
अनहद गूँज हो रहा स्पंदित
कल्पनाओं के भंवर में
मिलजुल कर मधु बेला सजायें
क्षण भर का साथ तुम्हारा
नैनों में मेरे सजल हो जायें
लिखो तारुण्य का आख्यान
कामनाओं से मुखरित हो जाऊं
उर में घोलो महुआरी रस
कुसुम बनकर में खिल जाऊं
झिलमिल उल्काओं के मध्य
सुखद प्रेम का करो अभिसार
तमस ना रह जाए अंतस्थ में
करो मादक शीतलित प्रवाह
चल ना सकूं यदि कठिन ड़गर पर
यद्यपि बांह थाम लेना तुम
चाहे जो भी आये परिस्थिति,
सूरज बन उग जाना तुम
ऐसा कोई पावन संयोग रचो,
साथ हमारा अमर हो जाए
बहती जलमाला की आकुल धारा,
आज पयोनिधि में सम्मलित हो जाए
प्रार्थना राय
देवरिया, उत्तर प्रदेश