संजय अश्क
बालाघाट, मध्य प्रदेश
संपर्क- 9753633830
तुझे दिल में बसाया
फिर दिल लगा ना सका,
तुझे चाहा इतना की
पल भर भी भुला ना सका
तेरे बाद भी मिलती रही
हसीनाएं बहुत मग़र,
एहसास मोहब्बत का
फिर कभी जगा ना सका
तूने मजबूर होकर
सिंदूर किसी का भर लिया,
पर मै भीगी आंखों मे
नये ख्वाब सजा ना सका
लोग आज भी लेते हैं
मेरे नाम संग तेरा नाम,
इतना प्यार था तुझसे कि
जमाना भी भुला ना सका