डॉ जेएस मूर्ति स्मृति व्याख्यानमाला में पंजाब यूनिवर्सिटी की संचार विशेषज्ञ डॉ अर्चना सिंह ने ‘हजारों शब्दों का मौन संवाद:छायाचित्रों में व्यक्त यथार्थ’ विषय पर बोलते हुए कहा कि किसी फोटो को देखते हुए कोई व्यक्ति उससे रिश्ता बनाता है, महसूस करता है और उसे विश्लेषित करता है। होरीजेंटिल एंगल की फोटो लोगों को आकर्षित करती है। कोई भी व्यक्ति सामने लिखे शब्दों की तरह फोटो को भी बाएं से दायीं ओर देखता है।
आकाशवाणी के सेवानिवृत अतिरिक्त महानिदेशक राजीव कुमार शुक्ल ने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि डॉ जेएस मूर्ति सिर्फ एक उत्कृष्ट छायाकार ही नहीं बल्कि बेहतरीन मानव थे। उन्होंने कहा कि डॉ मूर्ति ने एक शिक्षक, संचार विशेषज्ञ और फिल्म मेकर के रूप में सदैव याद किए जाएंगे।
इस अवसर पर फादर डेविस जार्ज और डॉ छाया राय ने डॉ मूर्ति से अपने आत्मीय संबंधों के बारे में वक्तव्य दिया। मीडिया स्टडी सर्किल के संयोजक लक्ष्मीकांत शर्मा ने कहा कि प्रत्येक वर्ष डॉ मूर्ति की स्मृति में व्याख्यानमाला का आयोजन देश भर के विभिन्न स्थानों में होगा। उन्होंने कहा कि भविष्य में डॉ मूर्ति की स्मृति में फोटोग्राफी में योगदान देने के लिए एक छायाकार को सम्मानित किया जाएगा।
इस अवसर डॉ जेएस मूर्ति के कुछ चुनिंदा छायाचित्रों की एक प्रदर्शनी भी लगाई गई। शहजादा जेम्स मूर्ति ने कुछ गीतों की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का आभार प्रदर्शन लक्ष्मीकांत शर्मा व संचालन वीरेन्द्र व्यास ने किया।