रूची शाही
आँखों में तुम्हारा इंतज़ार ढो रहे हैं
आज फिर हम जी भर के रो रहे हैं
हमें खबर है तुम ख्वाब बनके आओगे
इसलिए हर दर्द भूल के चुपचाप सो रहे हैं
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तू मुझको कहीं भी ना नजर आए तो बेहतर है
इश्क़ के नाम से हम ख़ौफ खायें तो बेहतर है
तू ख्वाब बनके इन आंखों को सालता ही रहा
ये ख़्वाब अब टूट कर बिखर जाए तो बेहतर है