Sunday, October 13, 2024

मगर अब क्यों: रूची शाही

रूची शाही

तुमको इजहार करना है अब मुझसे

हां करना चाहता हूं अगर तुम इजाजत दे दो तो
मगर अब क्यों….
क्योंकि हमेशा देर कर देता हूं मैं…

सुनो ये नज़्म सुनाने में भी देर कर चुके हो तुम
अब नहीं सुनना मुझे, तुमने क्यों देर की
और कहां रूके रहे तुम..

अब और क्या कहूं मैं जब देर से समझ आया तो
और कैसे न कहूं…
तुमसे ही सीख लिया है
तुमको प्यार करना
क्या ये बेइमानी नहीं होगी
तुम ही तो कहती हो न
जो बात दिल में उसे जुबान ना लाने से
उस बात की हयात खत्म हो जाती है

तो कहने दो न मुझे
अभी अभी समझा है कि तुम्हारे साथ होने से
दुनिया कितनी सुंदर लगती है
हवाएं भी गुनगुनाती है
सब कुछ कितना हसीन है बस तुम्हारे साथ होने से

कोई सस्ता सा नशा कर लिए हो
या दिमाग फिर गया है तुम्हारा
कुछ भी बोले जा रहे हो

दरअसल असल बात बोलने कि हिम्मत हो नहीं रही है तुमसे

जो कह पा रहा हूं वो सुन लो न
थोड़ी सी हिम्मत तुम ही और दे दो ना
कि कह पाऊं तुमसे
कि अब देर नहीं करना चाहता मैं….

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