रूची शाही
प्रेम करना बहुत आसान था
निभाना बहुत मुश्किल
मैंने तुमसे प्रेम करते हुए
उन तमाम उलझनों और मुश्किलों
से भी प्रेम किया जो
कभी कभी एक खाई की तरह
हमारे बीच आकर पसर गई
मैंने दर्द बहुत समेटा
उस खाई को पाटने में
और हर बार
और ज्यादा प्रेम किया तुमसे
धीरे-धीरे समझ में आ गया मुझे
कि प्रेम की एक बूंद भी अगर शेष हो तो
निभाते चले जाने की
हिम्मत और सहूलियत बनी रहती है