आई रजनी सुन सजनी क्या सोचे चुप होके
मेघा छाए घिर-घिर आए
तड़ित चमके शोर मचाए
पुरवा झूमे चले लहराए
मदहोश बड़ा यह सुंदर शमा
झूम उठा है सारा जहाँ
बूँदें टपकी टिप-टिप टुप-टुप
क्यों बैठी हो इतनी गुप-चुप
कहे शमा आ झूम ज़रा
बारिश में चलें आ भीग ज़रा
आई रजनी सुन सजनी क्या सोचे चुप होके
मन के मयूर जग जाने दे
रिमझिम के तराने गाने दे
रात सुहानी चुप-चुप ढले
आ चल चलें कहीं दूर चलें
सोच रहे क्या व्याकुल नैना
यादों में किसकी भीगे रैना
आई रजनी सुन सजनी क्या सोचे चुप होके
गरज रही सावन की बदली
याद दिला रही क्या पीहर की
दादुर,पपीहे के बोलों को सुन
सुन बूँदों की रुनझुन-रुनझुन
बदली से छुप-छुपकर झाँक रहा
चँदा भी तुझे निहार रहा
छोड़ दें पीछे बातें बीती
आ बैठें करें कुछ बातें मीठी
आई रजनी सुन सजनी क्या सोचे चुप होके
-अनुराधा चौहान